यह जरूरी है कि बिहार बोर्ड रिजल्ट धांधली प्रकरण में सबसे पहले उन परीक्षार्थियों को राहत पहुंचाई जाए जो शिक्षकों के गैर जिम्मेदाराना आचरण के चलते संकट में घिरे हुए हैं। इनमें तमाम ऐसे मेधावी छात्र-छात्राएं भी हैं जो जेईई या कोई अन्य प्रतियोगी परीक्षा क्वॉलीफाई कर चुके हैं, पर बिहार बोर्ड की परीक्षा में अनुत्तीर्ण हो गए। बिहार बोर्ड ने स्वागतयोग्य निर्णय लिया कि सबसे पहले इन्हीं परीक्षार्थियों की उत्तर पुस्तिकाओं की स्क्रूटनी कराई जाएगी। दूसरा अच्छा निर्णय तीन जुलाई को दो विषय की कंपार्टमेंटल परीक्षा कराने का है। बेशक इससे उन परीक्षार्थियों को बहुत राहत मिलेगी जो दो विषय में अनुत्तीर्ण हुए हैं। यह स्पष्ट हो चुका है कि उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन में हद दर्जे की लापरवाही बरती गई है लिहाजा ऐसा कोई भी कदम उठाने में संकोच और विलंब नहीं किया जाना चाहिए जो प्रभावित परीक्षार्थियों को राहत पहुंचा सकता है। इस बीच कुछ कथित छात्र संगठन इस मुद्दे पर कुछ ज्यादा ही हो-हल्ला कर रहे हैं। प्रशासन को इन संगठनों के साथ कड़ाई से पेश आना चाहिए। वजह कुछ भी हो, शांति और कानून व्यवस्था भंग करने की इजाजत किसी को नहीं मिलनी चाहिए। यह भी देखा जाना चाहिए कि हुड़दंगियों के हुजूम में वास्तविक परीक्षार्थी कितने हैं? रोज अराजकता फैलाने के पीछे इन लोगों की असली मंशा क्या है? जहां तक भविष्य का रोडमैप बनाने की बात है, उपलब्ध शिक्षकों की स्कूलों में छात्र संख्या के अनुपात में तैनाती की जाए। ये देखने में आता है कि बड़ी संख्या में शिक्षक नगरों या समीपवर्ती इलाकों में अपनी तैनाती करवा लेते हैं। इस वजह से शिक्षकों की उपलब्धता में असंतुलन रहता है। इसके अलावा शिक्षकों के प्रशिक्षण का भी कार्यक्रम बनाया जाना चाहिए क्योंकि विभिन्न माध्यमों से नियोजित शिक्षकों की काबिलियत पर सवाल उठते रहे हैं। सरकार को यह भी देखना होगा कि शिक्षकों को गैर-शैक्षणिक कार्यों में कम से कम लगाया जाए ताकि उन्हें शिक्षण कार्य के लिए पर्याप्त समय और एकाग्रता मिल सके। इसी के साथ हर स्तर पर तिमाही, छमाही और वार्षिक परीक्षाएं अनिवार्य की जाएं। सबसे अहम बात यह है कि शिक्षण कार्य को लेकर जवाबदेही निर्धारित की जानी चाहिए। यदि शिक्षक अपनी जिम्मेदारी महसूस करके अध्यापन कार्य के प्रति गंभीर होते हैं तो कोई वजह नहीं कि राज्य के विद्यार्थी नकल जैसे कदाचार से मुक्त होकर अपनी मेधा का परचम न फहरा सकें।
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बिहार बोर्ड रिजल्ट धांधली पर चौतरफा हो-हल्ला के बीच मुख्यमंत्री के सख्त तेवर के बाद परीक्षार्थियों को राहत पहुंचाने की कवायद शुरू हुई है। यह कार्य सर्वोच्च प्राथमिकता के आधार पर किया जाना चाहिए ताकि किसी भी वजह से एक भी मेधावी परीक्षार्थी का एकेडमिक साल बर्बाद न होने पाए।

[ स्थानीय संपादकीय : बिहार ]