सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआइ को नारद स्टिंग कांड की जांच कर प्राथमिक रिपोर्ट दाखिल करने के लिए जो समय सीमा दी थी, वह 16 अप्रैल को खत्म हो गई थी। कहा जा रहा था कि सीबीआइ जांच पूरी करने के लिए कलकत्ता हाईकोर्ट से अतिरिक्त समय की मांग कर सकती है लेकिन इस बीच सीबीआइ ने नारद स्टिंग कांड में फंसे 13 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर ली यानी अब मामले में पूछताछ व गिरफ्तारी शुरू हो जाएगी। इस कांड में तृणमूल कांग्रेस के कई सांसद, मंत्री, विधायक व नेता फंसे हुए हैं। एक सप्ताह पहले मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी। इसके बाद विरोधी दल माकपा व कांग्रेस के नेता आरोप लगाने लगे थे कि नारद व सारधा कांड में अपने नेताओं को सीबीआइ से बचाने के लिए ममता ने मोदी से मुलाकात की है। वहीं सीबीआइ द्वारा प्राथमिक रिपोर्ट जमा करने में विलंब को लेकर भी सवाल उठने लगे थे। बंगाल में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस और वाममोर्चा समेत अन्य विपक्षी दल नारद कांड की सीबीआइ जांच में शिथिलता के लिए तृणमूल कांग्रेस और भाजपा में साठगांठ होने का आरोप लगाने लगे थे। अब सीबीआइ ने जब प्राथमिकी दर्ज कर ली है तो विरोधी दल इसका स्वागत कर रहे हैं।
कलकत्ता हाईकोर्ट ने जब नारद स्टिंग कांड की जांच सीबीआइ को सौंपने का निर्देश दिया था तो 72 घंटे के अंदर ही जांच की प्राथमिक रिपोर्ट सौंपने को कहा था। राज्य सरकार ने कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश को जब सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी तो वह खारिज हो गई। सुप्रीम कोर्ट ने जांच की समय सीमा एक माह बढ़ाकर पहले ही सीबीआइ को सुविधा दे दी थी लेकिन सीबीआइ अपनी गति से जांच कर रही थी। एफआइआर दर्ज होने के साथ ही यह प्रमाणित हो गया है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हाईकोर्ट के फैसले के बाद ही आरोप लगाया था कि नारद स्टिंग कांड की सीबीआइ जांच केंद्र का षड्यंत्र है। वहीं विपक्षी दलों ने तृणमूल और भाजपा के बीच साठगांठ का आरोप लगाया था। नारद स्टिंग कांड में तृणमूल के कई वरिष्ठ नेता, सांसद और मंत्रियों पर लोकसभा चुनाव से पहले मोटी रकम लेने का आरोप है।
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( हाइलाइटर::: सुप्रीम कोर्ट ने जांच की समय सीमा एक माह बढ़ाकर पहले ही सीबीआइ को सुविधा दे दी थी लेकिन सीबीआइ अपनी गति से जांच कर रही थी। एफआइआर दर्ज होने के साथ ही यह प्रमाणित हो गया है। )

[ स्थानीय संपादकीय : पश्चिम बंगाल ]