पंजाब में पुलिस वालों से नशीले पदार्थो और हथियारों की बरामदगी का सिलसिला बढ़ता जा रहा है। अब मोगा के एक हेड कांस्टेबल के पास से हेरोइन व कई हथियार स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने पकड़े हैं। इससे पूर्व जब इंस्पेक्टर इंदरजीत के घरों से भारी मात्र में नशीले पदार्थ व हथियार बरामद किए गए थे तब ही ऐसी आशंकाएं प्रबल हो गईं थी कि राज्य में नशे व हथियारों की सप्लाई का जो नेटवर्क है उसमें खाकी वर्दी वाले कई लोगों की शमूलियत हो सकती है। एसटीएफ की कार्रवाई से कई खुलासे हो रहे हैं तो कइयों की नींद उड़ना भी स्वाभाविक है। हैरानी की बात है कि अभी तक जो भी बड़ी मछलियां पकड़ी गई हैं उनमें कई पुलिस वाले ही हैं। इंस्पेक्टर इंदरजीत से पहले डीएसपी जगदीश भोला को भी ड्रग्स रैकेट में पकड़ा गया था। इंदरजीत के बाद एएसआई अयाजब सिंह की भी संलिप्तता के मद्देनजर दोनों को हालांकि बर्खास्त कर दिया गया है। यह कतई संभव है कि आने वाले दिनों में जब एसटीएफ इन पुलिस वालों से पूछताछ करेगी तो कई और मगरमच्छ सामने आएं। पिछले करीब एक दशक से पंजाब में नशे के दानव ने पांव पसारे हैं। इससे राज्य का सामाजिक ताना-बाना तो कमजोर हुआ ही है नैतिक मूल्यों में भी गिरावट आई है। पंजाब बदनाम होने लगा था। चिंतनीय यह भी है कि कुछ सियासी दल या तो यह मानने को ही राजी नहीं थे कि सूबे को नशा खोखला कर रहा है या फिर कुछ दल इसी को लेकर राजनीतिक रोटियां सेंकते रहे हैं। एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाते रहे हैं। कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव से पहले यह दावा किया था कि वह सत्ता में आने पर तीस दिन में नशा खत्म कर देगी। यह सभी को मालूम है कि इस समस्या का इतनी जल्दी निराकरण नहीं किया जा सकता। हालांकि सरकार ने एसटीएफ का गठन कर दिया था लेकिन उसकी कार्रवाई अब शुरु हुई है तो लगता है कि नशे की दुनिया के कई धुरंधर बेनकाब होंगे। पुलिस के लोग इस नेटवर्क में जिस तरह से एक-एक करके सामने आ रहे हैं उससे यह समझा जा सकता है कि स्थिति बाड़ द्वारा ही खेत को खाने जैसी रही है। यानी जिस पुलिस को नशे व हथियारों की तस्करी को रोकना था, उसमें शामिल लोगों की धरपकड़ करनी थी, उसी पुलिस के कर्मचारी इस धंधे के सूत्रधार बने हुए थे। ऐसी और भी कई काली भेड़ें होंगी, जिन्हें सामने लाना होगा और इस नेटवर्क की कमर तोड़नी होगी। पुलिस के लिए यह दोहरी चुनौती है।

 स्थानीय संपादकीय- पंजाब