ब्लर्ब :
प्रदेश के दवा उद्योगों में हर तीसरे माह कई दवाओं के सैंपल फेल हो रहे हैं, इन उद्योगों की लगातार निगरानी के जरिये ही इस लापरवाही पर अंकुश लगाया जा सकता है।
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उत्तर भारत में दवाओं के उत्पादन में हिमाचल सबसे आगे है। फार्मा उद्योग सबसे अधिक सोलन जिले के बद्दी में स्थापित किए हैं जबकि कुछ सिरमौर और कांगड़ा जिले में भी हैं। सोलन में कई नामी कंपनियां अपनी दवाओं के उत्पाद तैयार करती हैं। कांगड़ा जिले के औद्योगिक क्षेत्र संसारपुर टैरेस में भी दवा उद्योग स्थापित किए गए हैं। किसी भी उद्योग की विश्वसनीयता उसके उत्पाद के आधार पर ही होती है। लेकिन यह चिंता का विषय है कि हिमाचल में बनने वाली दवाओं के 10 सैंपल मानकों के अनुरूप सही नहीं पाए गए हैं। केंद्रीय दवा मानक नियंत्रण संगठन की ओर से देश भर में कई दवाओं के सैंपल लिए गए थे। देशभर के 32 दवा उद्योगों के 37 सैंपल फेल पाए गए हैं। इनमें से दस दवा उद्योग हिमाचल के बद्दी, कांगड़ा व सिरमौर जिला के भी शामिल हैं। केंद्रीय दवा मानक नियंत्रण संगठन ने देशभर में ड्रग अलर्ट जारी कर सूचित किया है और खराब पाई गई दवाओं की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसके अलावा देशभर से इस स्टॉक को वापस मंगवाने का आदेश भी जारी किया गया है। खराब दवाओं में त्वचा, एंटीबॉयोटिक, शुगर, खांसी जुखाम सहित गर्भवती महिलाओं के इस्तेमाल में आने वाली दवाएं शामिल हैं। यह गंभीर चिंता की बात है। शुगर के लिए तो हर दिन लोग दवा का इस्तेमाल करते हैं जबकि खांसी और जुकाम से पीडि़त भी अस्पतालों में रोजाना सबसे अधिक मरीज आते हैं। केंद्रीय दवा मानक नियंत्रण संगठन की ओर से अलर्ट जारी होने के बाद हालांकि राज्य दवा नियंत्रक की ओर से संबंधित सभी दवा उद्योगों को नोटिस जारी कर दिए गए हैं। नोटिस के माध्यम से जबाव भी मांगा गया है। लेकिन सवाल यह है कि दवा जैसे संवेदनशील उत्पाद के निर्माण में कोताही क्यों बरती जा रही है। दवा के सैंपल होने वाले कारकों की तलाश करके इस दिशा में कदम उठाने की पहल की जाए, ताकि बार-बार इस तरह के मामले सामने न आएं। सैंपल फेल हुए दवाओं के बैच को भी वापस लाने का आदेश दिया गया है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि इसकी निगरानी कौन कर रहा है। लोग भी इस तरह की दवा को कैसे पहचान पाएंगे। स्वास्थ्य विभाग के साथ-साथ दवा नियंत्रक की ओर से जब तक इस मामले में सख्ती नहीं बरती जाएगी तब तक इस तरह की लापरवाही सामने आती रहेगी।

[ स्थानीय संपादकीय : हिमाचल प्रदेश ]