जम्मू एयरपोर्ट पर इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट के रन वे पर उतरते समय उसके चारों टायरों के फट जाने की घटना गहन चिंता का विषय है। गनीमत यह रही कि पायलट ने सूझबूझ का परिचय देते हुए जहाज को उतार दिया, अन्यथा इसके दीवार से टकरा जाने से बड़ा हादसा हो सकता था। किसी अनहोनी से निपटने के लिए पायलट ने भी आपातकालीन दरवाजा खोल दिया ताकि लोग सुरक्षित बाहर निकल सकें। इस हड़बड़ाहट में पांच लोगों को मामूली चोटें आईं। विडंबना यह है कि जम्मू एयरपोर्ट का रन वे फ्लाइट्स की संख्या को देखते हुए काफी छोटा है। इसे देखते हुए पायलटों को भी उतरते समय इमरजेंसी ब्रेक लगानी पड़ती है ताकि जहाज को रोकने से पहले इसकी रफ्तार को कम किया जा सके। यह कोई स्थायी समाधान नहीं है। विगत दिवस जो दुर्घटना हुई वह भी ब्रेक मारने के दौरान, जिससे जहाज के टायर फट गए। विडंबना यह है कि जम्मू एयरपोर्ट के विस्तारीकरण की घोषणा डेढ़ दशक पहले हुई थी। इसके अतंर्गत रन वे का विस्तार 6700 वर्ग फीट से 8000 वर्ग फुट तक किया जाना है। इसके लिए नागरिक उड्डयन मंत्रलय ने 80 करोड़ रुपये निर्धारित किए हैं। इसमें यात्रियों की टर्मिनल में 350 से 750 क्षमता किए जाने का भी प्रस्ताव है ताकि हर एक घंटे में करीब आठ सौ यात्री आ-जा सकें। वर्ष 2013 में शुरू हुए विस्तारीकरण का काम अभी 70 फीसद ही संभव हो पाया है। इतना ही नहीं, राज्य सरकार एयरपोर्ट अथॉरिटी को अभी तक 27 कनाल भूमि उपलब्ध नहीं करवा पाई है। हालांकि इसके लिए अथॉरिटी ने सरकार को 532 करोड़ की मुआवजा राशि तक मुहैया करवा दी है। लेकिन अभी तक एयरपोर्ट के आसपास के क्षेत्र को राज्य सरकार खाली नहीं करवा पाया है। इससे विस्तारीकरण का काम अधर में है। जम्मू एयरपोर्ट के विस्तारीकरण के लिए राज्य सरकार को भी हरसंभव कदम उठाने होंगे।

[ स्थानीय संपादकीय : जम्मू-कश्मीर ]