पंजाब सरकार की ओर से आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को घर देने की योजना का विस्तार किया जाना प्रशंसनीय कदम है। ऐसी योजनाएं पहले शहरी इलाकों में ही लागू थीं, लेकिन अब इसे ग्र्रामीण इलाकों में भी लागू किया जाएगा। सरकार की नई योजना के तहत एक लाख फ्लैट बनाए जाएंगे। गरीबों के लिए राहत वाली बात यह है कि सरकार इन फ्लैटों पर सब्सिडी भी देगी। आसान किस्तों पर पैसा चुकाने की व्यवस्था होने के कारण बेघरों को इस योजना से खासा लाभ हो सकता है।

कुल खर्च में केंद्र सरकार की भी हिस्सेदारी होगी। सरकार को एक चिंता यह सता रही है कि क्या ग्र्रामीण इलाकों में लोग फ्लैट लेना चाहेंगे? सरकार के मुताबिक ग्र्रमीण इलाकों के फ्लैट दो मंजिला होंगे। यदि ऐसा है तो शायद किसी को कोई हिचक न हो। आर्थिक रूप से कमजोर जिन लोगों के पास घर नहीं है उनको तो पहले अपना घर चाहिए। सबसे बड़ी बात यह है कि इस योजना में जातीय बंदिश नहीं है। पहले इस तरह की जो भी योजनाएं सरकार की तरफ से लाई गई थीं उनमें जाति को आधार बनाया जाता था। अब किसी भी वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोग इस योजना के लिए योग्य होंगे। सरकार को यह देखना होगा कि योजना सिर्फ एलान तक सीमित न रह जाए।

पहले भी बेघरों के लिए सरकार ने योजनाओं की घोषणा की है। इन पर काम भी शुरू हुआ है, लेकिन बाद में कई योजनाएं सिरे नहीं चढ़ीं। ऐसी स्थिति में दोहरा नुकसान होता है। एक तो सरकार का पैसा फंस जाता है दूसरे लोगों को योजना का लाभ भी नहीं मिलता है। ऐसा भी होता है कि सरकार की योजनाएं बहुत देर से पूरी हो पाती हैं क्योंकि फंड की कमी आड़े आ जाती है। इंतजार करते-करते लोग उम्मीद छोड़ देते हैं। इसके अलावा कई बार घटिया काम की वजह से लोग फ्लैट लेना पसंद नहीं करते। इसके लिए मुख्य कारण योजना से जुड़े अधिकारियों की लापरवाही और सरकार की उदासीनता होता है। सरकार को यह देखना चाहिए कि कोई भी योजना तय समय में पूरा हो रही है या नहीं? यदि विलंब हो रहा है तो जिम्मेदार अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की जाए। तय समय में योजना पूरी होने पर ही लोगों का विश्वास बना रह सकता है।

स्थानीय संपादकीयः पंजाब