नववर्ष अपने साथ नई आशाएं, उम्मीदें लेकर आता है। इसके स्वागत का अलग ही आनंद है। भूत जैसा भी रहा हो, भविष्य के हमेशा शुभ होने की कामना रहती है। वर्ष 2015 ने जो जमीन तैयार की, उससे यह उम्मीद की जा सकती है कि नया साल प्रदेश को बुलंदी की नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने वाला होगा। चुनौतियां जरूर हंै, लेकिन उन पर विजय हासिल करना असंभव नहीं है। वह चाहे शिक्षा का क्षेत्र हो, बिजली की समस्या या कमजोर कानून-व्यवस्था। साल के आखिर में विभिन्न शिक्षक संगठनों के साथ बैठकर सरकार नई पहल करती दिखी। मुख्यमंत्री अगर दावा कर रहे हैं कि सरकार बिजली उत्पादन की लागत घटाएगी ताकि लोगों को सस्ते दर पर दी जा सके, तो इस पर भरोसा करना चाहिए। राजस्थान और पंजाब की सीमा से सटे राज्य के क्षेत्रों में नशे की समस्या जरूर बड़ी चुनौती बनकर उभरी है, लेकिन अच्छी बात यह कि इसके खिलाफ माहौल बन रहा है। खासतौर पर महिलाओं ने जिस तरह इसके खिलाफ कमर कसी है, उसके अच्छे नतीजे आने की उम्मीद की जा सकती है। किसानों में व्याप्त निराशा के बादल को दूर करने के लिए सरकार को उसी तरह गंभीर प्रयास करने होंगे, जैसा व्यापारियों के लिए किया गया है। नियमों को सरल बनाए जाने से व्यापार आसान हुआ है। समाज के लिए कैंसर से भी खतरनाक रूप ले रहे भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकार के अभियान की सराहना की जानी चाहिए। लचर स्वास्थ्य सेवाओं को चुस्त-दुरुस्त करने के जो प्रयास हुए, उसके परिणाम इस वर्ष सामने आएंगे। राज्य के इकलौते पीजीआइ की भी दशा देर-सबेर सुधरेगी और जिला अस्पतालों में लोगों को निराश नहीं होना पड़ेगा। प्रदेश के विश्वविद्यालयों को स्थायी कुलपति देने के सरकार के प्रयास भी अच्छे नतीजे देंगे। दुनियाभर में राज्य की पहचान यहां के होनहार खिलाड़ी हैं। खेल संघों की आपसी लड़ाई से उनका बहुत नुकसान हुआ है। अच्छी बात है कि सरकार इस लड़ाई को दूर करने के प्रति गंभीर है। सरस्वती नदी की खोदाई तेजी से आगे बढ़ेगी तो हिसार के राखीगढ़ी में चल रही खोदाई का कार्य अगर रंग लाया तो आर्य सभ्यता की सच्चाई दुनिया के सामने आएगी। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में पडऩे वाले प्रदेश के जिलों के लिए यह साल खास रहेगा। दिल्ली में लागू हो रही सम-विषम व्यवस्था सीएनजी सिस्टम को बढ़ावा देगी तो फरीदाबाद का स्मार्ट सिटी होना दूसरे शहरों में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा पैदा करेगा। दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रीयल कारीडोर तस्वीर बदलने वाले हैं तो मास रेपिड ट्रांजिट सिस्टम (एमआरटीएस) से आवाजाही सुगम होगी।

[स्थानीय संपादकीय: हरियाणा]