उम्मीद है कि अब महानगरों, नगरों और कस्बों की चमक बढ़ेगी। स्वच्छता दिखेगी और इलाकाई समस्याओं से जनता को निजात मिलेगी। भाजपा ने निकाय चुनाव से पहले शहरी नागरिकों को विश्वस्तरीय सुविधाएं देने के लिए संकल्प पत्र जारी किया था। चुनावी सफलता के बाद अब उस संकल्प को निभाने की बारी आ गई है। मंगलवार को नगर निगम, नगर पालिका परिषद और नगर पंचायतों में चुनाव जीतने वाले उम्मीदवारों का शपथ ग्रहण हो गया है। अब नवनिर्वाचित माननीयों के सामने पहली चुनौती 28 सूत्री संकल्प पत्र के वायदों को पूरा करना है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय ने संकल्प पत्र को केंद्र में रखकर चुने गए प्रतिनिधियों को जवाबदेह बनाने पर जोर दिया है। वस्तुत: भाजपा का मकसद है कि संकल्प पत्र को लेकर सभी जनप्रतिनिधियों को प्रतिबद्ध बनाया जाए। विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा ने संकल्प पत्र जारी किया था। योगी की सरकार बनते ही किसानों के एक लाख रुपये तक की कर्जमाफी से लेकर सभी वादों को निभाया गया। इसका असर निकाय चुनाव में भी देखने को मिला।

दरअसल आज के हालात के लिए पूर्ववर्ती सरकारों के वह जनप्रतिनिधि जिम्मेदार हैं जो पूरे कार्यकाल जनहित के बजाए स्वहित को ही महत्व देते रहे। ठेके, पट्टे और दीगर निर्माण कार्यो को हथिया लेना उन्होंने अपना नैतिक धर्म समझा और जनता के हित की निरंतर बलि चढ़ती रही। यही वजह रही कि जनता ने ऐसे उम्मीदवारों को धूल चटा दी जो उसके मानक पर खरे नहीं उतर रहे थे, मन को नहीं भा रहे थे। निसंदेह शपथ ग्रहण के पश्चात भाजपा के मेयर और पार्षदों की जिम्मेदारी बढ़ जाएगी। उम्मीद है कि नवनिर्वाचित माननीय पूर्ण मनोयोग के साथ जन समस्याओं को सुलझाने की दिशा में सतत सचेष्ट रहेंगे। वस्तुत: ऐसा करके ही वह उस संकल्प पत्र में किए गए वायदों की पूर्ति करते दिखेंगे जिसके सहारे भाजपा प्रचंड बहुमत के साथ नगर निकायों में पदारूढ़ हुई है। नवनिर्वाचित माननीयों से यह भी अपेक्षा रहेगी कि वह कोई भी ऐसा कृत्य न करें जिसके चलते पार्टी की छवि पर विपरीत प्रभाव पड़े अथवा पार्टी पदाधिकारियों को शर्मिदगी उठानी पड़े। ध्यान रखना होगा कि जनता बहुत जल्दी जवाब भी चाहती है। ऐसे में उन्हें जनभावनाओं की कद्र करनी ही होगी।

[ स्थानीय संपादकीय: उत्तर प्रदेश ]