सीवर में सफाई के दौरान मजदूरों की लगातार हो रही मौत के मद्देनजर उपराज्यपाल का नया आदेश स्वागतयोग्य है। उपराज्यपाल अनिल बैजल ने स्पष्ट आदेश दिए हैं कि यदि ठेकेदार सफाई के लिए किसी व्यक्ति को सीवर में उतारता है तो मौत होने की स्थिति में उसके खिलाफ गैर-इरादतन हत्या का केस दर्ज किया जाएगा। ऐसी उम्मीद की जानी चाहिए कि उपराज्यपाल का यह आदेश इस तरह लगातार हो रहीं मौतों पर रोक लगाने में काफी हद तक सफल साबित होगा। मजदूरों को जागरूक करने के लिए प्रचार अभियान चलाने और होर्डिंग लगाए जाने के साथ ही मशीनों से सीवर की सफाई के प्रबंध करने संबंधी उपराज्यपाल का आदेश भी इस दिशा में उचित कदम है। यह निराशाजनक है कि दिल्ली में बीते करीब एक महीने में सीवर की सफाई के दौरान दस मजदूरों की मौत हुई है। यह स्थिति तब है, जबकि मजदूरों से सीवर की सफाई कराने पर सुप्रीम कोर्ट भी रोक लगा चुका है। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कहा है कि सीवर की सफाई मशीनों के जरिये ही होनी चाहिए, लेकिन इसके बावजूद विभिन्न सरकारी एजेंसियों के ठेकेदार अपने-अपने स्तर पर सीवर की सफाई में मजदूरों को लगाते हैं, जिसका खामियाजा मजदूरों को जान देकर चुकाना पड़ता है।
हाई कोर्ट ने भी इस मामले में सख्त रूख अख्तियार करते हुए सरकारी एजेंसियों से पूछा है कि आखिर इन मौतों के लिए कौन जिम्मेदार है। यह दुर्भाग्यपूर्ण ही है कि जो कार्य सरकारी एजेंसियों को पूरी जिम्मेदारी के साथ करना चाहिए, उसे वे नहीं करतीं और अंतत: अदालतों को उन्हें उनकी जिम्मेदारी का अहसास कराना पड़ता है। सभी सरकारी एजेंसियों को सीवर की सफाई का ठेका देते समय यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ठेकेदार इसके लिए मजदूरों से काम नहीं लेंगे। जो ठेकेदार मशीनों से सीवर की सफाई करें, उन्हें ही ठेका दिया जाना चाहिए और लापरवाही बरतने की सूरत में उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। उपराज्यपाल के आदेश भविष्य में सुधार की राह अवश्य दिखाते हैं। ऐसे में इनपर अनिवार्य रूप से अमल किया जाना चाहिए, ताकि भविष्य में सीवर की सफाई में मजदूरों की जान न जाने पाए।

[ स्थानीय संपादकीय : दिल्ली ]