माता वैष्णो देवी के आधार शिविर कटड़ा में पोलिथिन के प्रयोग पर पाबंदी लगाया जाना पर्यावरण संरक्षण की दिशा में अच्छी पहल है। कटड़ा और माता वैष्णो देवी की पवित्र गुफा मार्ग पर पहले से ही पोलिथिन पर रोक तो लगी हुई है। इस पर सख्ती से अमल न होने के कारण कस्बे की हालत भयाभय बनी हुई है। पोलिथिन के कारण नालियां जाम होने से गंदा पानी कस्बे में फैल रहा है जिससे लोगों को दिक्कतें आती हैं। नेशनल ग्रीन टिब्यूनल (एनजीटी) ने श्री माता वैष्णो देवी के आधार शिविर कटड़ा में कूड़ा निस्तारण की लचर व्यवस्था को लेकर जम्मू-कश्मीर सरकार के प्रति नाराजगी जताई। श्री माता वैष्णो देवी श्रइन बोर्ड के साथ म्यूनिसिपल कमेटी और प्रशासन का यह दायित्व बनता है कि वे श्रद्धालुओं को स्वच्छ वातावरण मुहैया करवाएं। जहां तक कि प्रसाद व चढ़ावे के लिए जो भी सामग्री दी जाए पोलिथिन लिफाफों का प्रयोग न करें। श्रइन बोर्ड ने हालांकि जूट के बैग श्रद्धालुओं के लिए पूजा सामग्री के लिए तैयार किए हैं। कुछ दुकानदार श्रद्धालुओं को पोलिथिन में देकर खर्चा तो बचा रहे हैं, लेकिन पर्यावरण से खिलवाड़ कर रहे हैं। प्रशासन और श्रइन बोर्ड को यह नहीं भूलना चाहिए कि श्री माता वैष्णो देवी के दर्शनों के लिए हर साल सवा करोड़ श्रद्धालुओं आते हैं। अगर हर कोई पोलिथिन के लिफाफे का इस्तेमाल करे तो यह नगरी कूड़े के ढेर में समा जाएगी। सरकार को भी चाहिए कि वह इस दिशा में कार्ययोजना तैयार करे। वह इसका भी ध्यान दे कि जिन स्रोतों से धर्म नगरी में प्रदूषण फैल रहा है, उससे निपटा जाए। दुखद पहलु यह है कि पवित्र बाणगंगा जो अब एक नाले का रूप लेती जा रही है, की स्वच्छता की ओर विशेष ध्यान नहीं दिया जा रहा। कस्बे की गंदगी और कई नाले भी पड़ रहे हैं। कटड़ा को धार्मिक पर्यटन उद्योग से जोड़कर देखा जाता है। साफ-सफाई और पर्यावरण संरक्षण की ओर विशेष कुछ करने की जरूरत है। नवंबर माह में श्रद्धालुओं को लेकर भवन जा रहे एक हेलीकॉप्टर के रोटर में चील फंस जाने से महिला पायलट समेत सात श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी। अगर कस्बे और यात्र मार्ग पर गंदगी होगी तो पक्षी भी आएंगे और इस प्रकार के हादसों का खतरा बना रहेगा। लिहाजा स्वच्छता के लिए सभी एजेंसियों को एकजुट होकर प्रभावी कदम उठाने होंगे।

[स्थानीय संपादकीय: जम्मू-कश्मीर]