ब्लर के लिए
- ट्रैफिक वाली सड़कों पर किसी वाहन का दूसरे वाहन से टकरा जाना भी बहुत सामान्य सी बात है। लोगों को आपा नहीं खोना चाहिए।
वाहन ओवरटेक करने के मसले पर केंद्रीय वित्त मंत्रालय के संयुक्त सचिव के चालक की पिटाई की घटना चिंताजनक है। यह घटना दर्शाती है कि दिल्लीवासियों में किस तरह संवेदनशीलता खत्म होती जा रही है। राजधानी में जिस तरह लोगों में धैर्य खत्म होता जा रहा है, छोटी-छोटी बात पर ही वे आग-बबूला हो उठते हैं, वह भविष्य के लिए अच्छा संकेत नहीं कहा जा सकता। महानगर की तेज भागती जिंदगी ने लोगों को मशीनी ही नहीं, असहिष्णु भी बना दिया है। यही वजह है कि दिल्ली में रोडरेज की ऐसी घटनाएं आए दिन नजर आती हैैं। इन घटनाओं की गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि कई बार ऐसी किसी घटना में किसी को गंभीर रूप से घायल कर दिया जाता है या उसकी जान तक ले ली जाती है। यह समझने की आवश्यकता है कि अगर लोग मामूली बातों पर इस तरह से आपा खोने लगेंगे तो दिल्ली रहने लायक ही नहीं रह जाएगी।
रोडरेज की ऐसी घटनाओं पर नियंत्रण के लिए आवश्यक है कि लोगों में संवेदनशीलता बढ़े। भारी ट्रैफिक वाली सड़कों पर किसी वाहन का दूसरे वाहन से टकरा जाना भी बहुत सामान्य सी बात है। इससे आक्रोशित होकर ङ्क्षहसा पर उतर आने को किसी भी दृष्टि से न्यायसंगत नहीं ठहराया जा सकता। लोगों को यह समझना चाहिए कि मामूली बात पर तनाव में आकर आपा खोने से किसी के घर का चिराग भी बुझ सकता है और यह खुद को भी बड़ी मुसीबत में डाल सकता है। महानगरों में तनाव एक आम बात है। ऐसे में हालात पर आक्रोशित होने के बजाय लोगों को तनावरहित रहने के उपाय करने चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनकी वजह से समाज में किसी को कोई परेशानी न होने पाए। रोडरेज की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए पुलिस को भी इसे गंभीरता से लेना चाहिए। यातायात पुलिस को भी ठोस योजना तैयार करनी चाहिए और लोगों को जागरूक करने की दिशा में अभियान चलाया जाना चाहिए। यह समझा जाना चाहिए कि ऐसी घटनाएं किसी सभ्य समाज में स्वीकार्य नहीं है।

[ स्थानीय संपादकीय : दिल्ली ]