एआइपीएमटी, एचटेट व अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के बाद अब नकल माफिया प्रदेश में बोर्ड परीक्षाओं को भी अपनी गिरफ्त में ले चुका है। ऐसा पहली बार हुआ कि स्कूली परीक्षाओं के दौरान भी नकल माफिया का संगठित स्वरूप देखने को मिला। पहले भी स्कूली परीक्षा में नकल की शिकायतें होती थीं, परीक्षा केंद्र भी रद होते थे लेकिन अब यह संगठित गिरोहों के हाथ में पहुंच चुका है। पहले भी नकल माफिया ने हरियाणा के उज्ज्वल चेहरे पर कई दाग लगाए हैं और पुलिस व जांच एजेंसियां हर बार इस माफिया की जड़ों के सफाये का दावा करती रहीं हैं। लेकिन हर बार नकल माफिया की जड़ें और गहरी होती गईं। हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड की परीक्षा में रोहतक में एक स्कूल में परीक्षा ड्यूटी पर तैनात शिक्षकों की जगह नकल माफिया ने अपनी टीम तैनात कर दी। झज्जर में शिक्षिका का ही नकल कराते हुए वीडियो वायरल हुआ तो आनन-फानन में अधिकारियों को कार्रवाई करनी पड़ी।
निश्चित तौर पर यह गंभीर स्थिति है। यह भी स्पष्ट है कि बिना वरिष्ठ अधिकारियों व व्यवस्था में शामिल अन्य लोगों की मिलीभगत के नकल कराने वाले गिरोह कामयाब नहीं हो सकते। बोर्ड परीक्षाओं के अलावा नौवीं व ग्यारहवीं की परीक्षाओं के प्रश्नपत्र भी सोशल मीडिया पर वायरल होने पर पूरी व्यवस्था पर सवाल उठाते रहे। क्या नकल कराने वालों का तंत्र ऐसा हो चुका है कि तमाम सरकारी तंत्र उस पर शिकंजा कसने में नाकाम हो रहा है? कहीं इस गिरोह को कोई संरक्षण तो नहीं मिल रहा? अभी तक हुए जो मामले सामने आए हैं उनसे साबित हो रहा है कि केंद्र अधीक्षक, निजी स्कूल संचालक और यहां तक की शिक्षा बोर्ड के अंदर तक नकल के वायरस घर कर चुके हैं। नकल माफिया अपनी मर्जी से ड्यूटियां तय करता है और अपनी ही टीम को तैनात करवाता है। आवश्यकता कड़वी दवा देने की है।

[ स्थानीय संपादकीय : हरियाणा ]