सरकार की सख्ती उसकी दृढ़ इच्छाशक्ति को दर्शाती है। अफसरों को भी आगे बढ़कर सहयोग करना होगा तभी सरकार अपने उद्देश्य को पूरा करने में सफल होगी।
--------
राज्य सरकार शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार व पंचायतों को जीरो ड्रॉप आउट घोषित करने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। सरकार का उद्देश्य साक्षरता दर में वृद्धि कर सुशिक्षित समाज की स्थापना करना है। साथ ही राज्य का एक भी बच्चा नामांकित होने से वंचित नहीं रहे इसपर भी सरकार का विशेष फोकस है। इस दिशा में सरकार द्वारा लगातार किए जा रहे प्रयास सराहनीय हैं। निचले स्तर तक यदि ईमानदारी से प्रयास किए जाएं और इसकी सतत मॉनीटङ्क्षरग हो तो सरकार अपना लक्ष्य आसानी से प्राप्त कर लेगी। पहली बार हाई स्कूलों में भी स्कूल चलें अभियान की शुरुआत करने का निर्णय लिया गया है। यह अभियान 10 अप्रैल से शुरू होगा। मुख्यमंत्री रघुवर दास खुद रांची के टाना भगत इनडोर स्टेडियम में इसका शुभारंभ करेंगे। नामांकन अभियान में खासकर राज्य की उन 500 पंचायतों में विशेष फोकस करने को कहा गया है जहां ड्राप आउट रेट राज्य औसत से अधिक है। उन पंचायतों में गहरे नीले रंग के झंडे लगाए जाएंगे जो जीरो ड्राप आउट हो चुके हैं। साथ ही उन स्कूलों में सफेद झंडे लगेंगे जिसके पोषक क्षेत्र में सभी बच्चे नामांकित हो जाएंगे। सरकार ने राज्य की 120 पंचायतों को जीरो ड्रॉप आउट घोषित करने का लक्ष्य निर्धारित कर रखा है। स्कूल चलें-चलाएं अभियान के तहत स्कूल से बाहर रह रहे सभी बच्चों का नामांकन सुनिश्चित करने का निर्देश अधिकारियों को दिया गया है। स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग की सचिव आराधना पटनायक ने स्पष्ट रूप से कहा है कि स्कूल चलें अभियान के बाद भी बच्चों के स्कूल से बाहर रहने पर संबंधित डीईओ जिम्मेदार होंगे। सरकार की सख्ती उसकी दृढ़ इच्छाशक्ति को दर्शाती है। अफसरों को भी आगे बढ़कर सहयोग करना होगा और लोगों को जागरूक करना होगा तभी सरकार अपने उद्देश्य को पूरा करने में सफल होगी। शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए सरकार ने स्कूलों में लैब व लाइब्रेरी दुरुस्त करने का निर्देश तो दिया ही है साथ ही विद्यार्थियों द्वारा नियमित उपयोग सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया गया है। जिन स्कूलों में शिक्षकों की कमी है उसे भी दूर करने का प्रयास किया जा रहा है। इस दिशा में सरकार गंभीर है। आज भी कई विद्यालय ऐसे हैं जहां छात्र-शिक्षक अनुपात औसत से भी कम है। इस विषमता को दूर करने के लिए भी सरकार प्रयासरत है। ऐसे स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति शीघ्र करनी होगी ताकि बच्चों की पढ़ाई बाधित नहीं हो सके।

[ स्थानीय संपादकीय : झारखंड ]