उत्तराखंड में लोकतंत्र का मेला लगभग निबट गया है। राज्य की 69 सीटों के लिए मैदान में डटे छह से ज्यादा प्रत्याशियों को भाग्य ईवीएम में कैद हो गया, बस अब इनके खुलने का इंतजार है। तय कार्यक्रम के मुताबिक नतीजे अगले महीने की 11 तारीख को आने हैं। गुजरे डेढ़ महीने की चुनावी आपाधापी किसी से छिपी नहीं रही। नेता, अफसर और पब्लिक तीनों ही लोकतंत्र के मेले में आहूति देने में व्यस्त थे। जाहिर भी है, लोकतंत्र की मजबूती के लिए यह जरूरी भी है। इसका प्रमाण भी प्रदेश की जनता रिकार्ड मतदान के रूप में दे चुकी है। ठीक है, नतीजों पर सबकी नजरें टिकी है, लेकिन इस बीच हम सभी को फिर से मूल ट्रेक पर लौटना होगा। सभी जानते हैं कि चुनाव आचार संहिता के चलते तकरीबन दो महीने से राज्य विकास कार्य थमे हुए हैं।

नए कार्य शुरू होने का तो प्रश्न ही नहीं बनता था, लेकिन पुराने प्रोजेक्ट भी जहां के तहां अटके हुए हैं। वैसे तो आदर्श आचार संहिता मतगणना तक लागू रहनी है, लेकिन निर्वाचन आयोग की अनुमति से जरूरी काम शुरू करने का विकल्प खुल गया है। राज्य में नई सरकार चुनने के लिए मत देकर जनता ने तो अपना फर्ज निभा लिया, लेकिन अब बारी सरकारी मशीनरी की है। उसे जनता के प्रति अपनी जवाबदेही को समझना होगा। चुनावी हैंगओवर से बाहर निकलकर अब विकास कार्यों में जुटने की जरूरत है। चुनावी व्यस्तता की वजह से जिन प्रोजेक्ट काम शुरू नहीं हो पा रहा था, उनकी तकनीकी दिक्कतों को जल्द से जल्द दूर कर लिया जाना चाहिए। ऐसे प्रोजेक्ट की लंबी फेहरिस्त है।

यह समय वित्तीय वर्ष की आखिरी तिमाही है, इसके चलते बजट उपभोग का दबाव भी मशीनरी पर रहेगा। अगर इसमें किसी भी स्तर पर लापरवाही या अनदेखी की गई तो राज्य के विकास की गति पर इसका प्रतिकूल असर पड़ना स्वाभाविक है। केंद्रीय बजट में कटौती भी राज्य को ङोलनी पड़ सकती है। वैसे भी बजट खर्च को लेकर उत्तराखंड का ट्रेक रिकार्ड अच्छा नहीं रहा है। बजट चाहे केंद्रीय सहायता का हो या फिर राज्य सरकार का खुद का, सभी में सुस्त गति देखने को मिली है। जाहिर है कि जब तक चुनावों के नतीजे नहीं आ जाते, नेताओं में बेचैनी रहेगी, लेकिन इसका अर्थ यह कतई कि वह आंखें मूंद लें। जनप्रतिनिधि होने के नाते उन्हें मशीनरी को सक्रिय करने में अपनी भूमिका निभानी होगी। उम्मीद की जानी चाहिए कि हमारा सिस्टम चुनावी मोड से बाहर निकल विकास कार्यो को अंजाम तक पहुंचाएगा।

(स्थानीय संपादकीय उत्तराखंड)