उत्तराखंड में मसूरी स्थित लाल बहादुर शास्त्री प्रशासनिक अकादमी में एक युवती के कथित प्रशिक्षु आइएएस बनकर छह महीने से ज्यादा वक्त तक ठहरना न केवल गंभीर विषय है, बल्कि सोचनीय भी है। इसे सीधे तौर पर अकादमी की सुरक्षा में सेंध कहा जा सकता है। ऐसा उस अकादमी में जहां, सुरक्षा व्यवस्था इतनी पुख्ता कि पङ्क्षरदा भी अपनी मर्जी से पर नहीं मार सकता। बाहरी लोगों की तो छोडि़ए, वहां के मुलाजिम भी बगैर परिचय पत्र के भीतर घुसने की हिम्मत नहीं कर पाते हैं। एक युवती अकादमी परिसर में न केवल बेखौफ ठहरी, अपितु बेधड़क वहां आती-जाती रही। किसी को कानोकान खबर नहीं लगी। देशभर के आइएएस अधिकारियों को प्रशासन के गुर सिखाने वाली इस अकादमी में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और गृहमंत्री के साथ ही देश-विदेश की नामचीन हस्तियां प्रशिक्षुओं को संबोधित करने आती हैं। प्रतिष्ठित संस्थान की व्यवस्थाओं पर ताजा प्रकरण ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। खासकर, सुरक्षा व्यवस्था को लेकर। यह दीगरबात है कि मामला सुर्खियों में आया तो सभी पक्ष अपना दामन बचाने की जुगत में हैं, तस्वीर बेहद धुंधली दिख रही है। अकादमी प्रशासन ने भले ही युवती के वहां से चले जाने के कई दिनों बाद मसूरी थाने की प्राथमिकी दर्ज करा दी है, लेकिन इससे पुलिस तक प्रकरण ले जाने में देरी किए जाने के आरोपों से अकादमी प्रबंधन बरी हो नहीं जाता। जब तक इस पर अकादमी का जबाव नहीं आ जाता, उसकी मंशा पर अंगुली उठना लाजिमी है। इतना ही नहीं, अकादमी ने मीडिया से भी दूरी बनाई हुई, लेकिन सवालों के जबाव दिए बगैर वह कैसे बेदाग हो सकता है। महीनों अकादमी में रही रूबी नाम की युवती ने पुलिस एफआईआर के बाद मीडिया के सामने आकर जो आरोप लगाए हैं, वह अपने आप में गंभीर हैं। हो सकता है कि युवती के आरापों में कोई सच्चाई न हो, लेकिन अकादमी प्रशासन का रवैया खुद ही इसके निहितार्थ निकालने की छूट बुद्धिजीवियों को दे रहा है। युवती की नीयत पर अगर सवाल उठ रहे हैं तो अकादमी की व्यवस्थाओं के और नियमों को भी शक के दायरे मेें बाहर नहीं किया जा सकता। अनजान युवती कैसे वहां तक पहुंची, इतने महीनों तक कैसे रही, सिक्योरिटी गार्ड ने अपने कमरे में क्यों रहने दिया, उसके पास प्रशिक्षु आइएएस का कार्ड कैसे आया, इस दरम्यान अतिविशिष्ट लोगों के दौरों के वक्त युवती प्रशिक्षु अधिकारियों की वेशभूषा में उनके गु्रप में किसकी शह पर शामिल हुई, अकादमी क्यों नहीं पुलिस को जांच में सहयोग दे रहा...? दर्जनों ऐसे सवालों का बोझ अकादमी प्रबंधन ढो रहा है। अब पुलिस भले ही विशेष टीम के जरिए मामले की तह तक जाने की कोशिशें कर रही है, पर अनुत्तरित सवाल अकादमी को कठघरे में करते रहेंगे। कुल मिलाकर यह कि इस रहस्यमयी प्रकरण से पर्दा तो उठना ही चाहिए, सच क्या है सभी के सामने आना चाहिए। साथ ही इससे सबक लेते हुए भविष्य में इस तरह की पुनरावृत्ति न हो, इस दिशा में ठोस कदम उठाए जाने चाहिए।