दो साल की जद्दोजहद के बाद सूबे की राजधानी पटना के नियोजित विकास की रूप-रेखा बनी, यानी पटना का मास्टर प्लान तैयार हो गया, परंतु इसमें सुंदर और व्यवस्थित बसावट के जो स्वप्न दिखाए गए हैं, उन्हें पूरा करने के लिए सरकार को कड़ी मशक्कत करनी होगी। नगर विकास विभाग ने काफी दिनों से राजधानी में अपार्टमेंट आदि निर्माण के लिए नक्शा पास करने का काम बंद कर रखा था। महीनों की प्रक्रिया के बाद नए बिल्डिंग बॉइलाज बनाए गए और नक्शा पास करने का काम शुरू हुआ, फिर भी मुख्य जगहों को छोड़ गली और मोहल्लों में निर्माण की गति ठहरी नहीं दिखाई दी। महीनों नक्शा पास करने का काम बंद होने की स्थिति में भी तमाम मोहल्लों में बन रहीं बहुमंजिली इमारतें नगर निगम की नजरों में नहीं रहीं होंगी, यह नहीं माना जा सकता। जाहिर है कि यह काम सेटिंग-गेटिंग से चलता रहा। मास्टर प्लान में पटना वासियों को गुड फील कराने की दृष्टि से शहर का विकास एनसीआर (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र) की तर्ज पर करने का प्रावधान किया गया है, लेकिन यह कैसे संभव होगा? इसकी बहुत विधिवत जानकारी सामने नहीं आई है। एनसीआर की बसावट पर ध्यान दें तो वहां योजनाएं पहले बनीं और निर्माण बाद में शुरू हुआ। एनसीआर की योजना के अनुरूप किसानों से सड़क, आवासीय प्लाट, बिल्डरों को होम सिटी बनाने के लिए जमीन लेने तथा ग्रीन फील्ड एरिया छोडऩे या जहां हरियाली नहीं है, उसे विकसित करने का काम किया गया। पटना में हालात इसके उलट हैं। राजधानी में ग्रीन बेल्ट को बर्बाद करने काम तो अब भी चल रहा है। शहरी क्षेत्र से जुड़ा दीघा एरिया, जिसे हरित एवं फलपट्टी कहा जाता था, यहां के हरे-भरे पेड़ों में लगने वाले आम की खुशबू, जिसे पड़ोसी राज्य भी महसूस करते थे, पूरा क्षेत्र अनियोजित कंक्रीट के जंगल में तब्दील हो गया।

बीते मंगलवार को शहरी आयोजना बोर्ड ने पटना शहर के जिस मास्टर प्लान को मंजूरी दी है, उसे 2031 तक के लिए बनाया गया है। अब यह मास्टर प्लान मंत्रिमंडल में जाएगा और जल्दी मंजूरी मिल गई तो इस महीने प्रभावी भी हो जाएगा। प्लान में एक प्रावधान नागरिकों को शहर के विकास के लिए जमीन का एक हिस्सा देने का भी रखा गया है, हालांकि लोग इसे आसानी से पचा पाएंगे, यह संभव नहीं लगता। सरकार आज यह सर्वे करा ले कि लोगों ने जितनी जमीन का नक्शा बनवाकर निर्माण कराया है, उतने में ही मकान बना है तो अधिकांश भवन अवैध निर्माण के दायरे में आ जाएंगे और इन्हें तोड़ पाना आसान नहीं होगा। हालत तो ऐसी है कि लोगों ने सड़क की जमीन पर बाउंड्री बना रखी है। मास्टर प्लान में शहर की बाउंड्री 1500 वर्ग किलोमीटर के दायरे में रखने की बात है। इसके अलावा नए बसने वाले पटना में जो 60 लाख लोग रहेंगे, उनमें 49 लाख शहर में व 11 लाख की आबादी ग्रीन बेल्ट अथवा ग्रामीण क्षेत्र में बसाने का प्रावधान है। पांच सेटेलाइट टाउन बनेंगे, जिनमें एक एयरपोर्ट सिटी होगी। नए पटना का विकास फेज में करने की बात है। अच्छा यह है कि शहरी आयोजना बोर्ड ने राजगीर और बोधगया का मास्टर प्लान बनाने की भी हामी भर दी है। जल्दी ही मुजफ्फरपुर और बिहारशरीफ के प्लान पर भी विचार करने का फैसला हुआ है। बिहारशरीफ स्मार्ट सिटी में भी चयनित हो चुका है। वास्तव में पटना का मास्टर प्लान बिहार में योजनागत तरीके से शहरी बसावट की दिशा में पहला कदम है, इसे सफल बनाने में नागरिकों को हरसंभव सहयोग करना चाहिए, क्योंकि इसकी सफलता ही मुजफ्फरपुर, भागलपुर, गया जैसे दूसरे शहरों के लिए आईना बनेगी।

[स्थानीय संपादकीय: बिहार]