गर्मी आते ही नलों के पास बाल्टी-बर्तन लिए कतार में लड़ते-झगड़ते लोगों की तस्वीरें छपती हैं। पटना शहर में भी ऐसी तस्वीरें दिखती हैं। आरा के गांवों में भी यही नजारा है। दरअसल, जल संकट का सबसे बड़ा कारण अत्यधिक दोहन है। पानी का मूल्य हमने कभी समझा ही नहीं। एक अनुमान के अनुसार देश भर में 60 लाख बोरवेल हैं, जिनसे रोज लाखों-करोड़ों लीटर पानी निकाला जा रहा है। कहीं कोई रोक-टोक नहीं। पानी निकाल तो रहे हैं, मगर उसे धरती को लौटाने यानी वाटर रीचार्ज की पद्धति नष्ट हो गई है। सरकार ने इस मामले में सही फैसला लिया है। अब हर नए सरकारी भवन की छत पर रेन वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था जरूरी कर दी गई है। किसी भी सरकारी भवन का निर्माण इसके बगैर नहीं होगा। इस्टीमेट ही बगैर रेनवाटर हार्वेस्टिंग के प्रावधान के मंजूर नहीं होगा। शहरी और ग्रामीण, दोनों क्षेत्र में होने वाले निर्माण में रेनवाटर हार्वेस्टिंग को अनिवार्य किया गया है। यह बहुत ही सस्ती और अच्छी तकनीक है। इसके तहत बारिश के जल को संजोकर रखने की व्यवस्था है। छत पर एक पाइप के माध्यम से बारिश के जल को नीचे बने सोख्ता में ले जाया जाता है। सोख्ता में पाइप को भूजल स्तर के करीब ले जाया जाता है। ऐसे में बारिश का जल भूजल स्तर तक पहुंचता रहता है। सामान्य तौर पर यह किसी भी भवन के कुल निर्माण लागत का 0.1 प्रतिशत होगा। इससे भूजल का स्तर बना रहेगा।

पहले हर गांव-शहर में तालाब, पोखर, कुंड, चौर आदि होते थे जिनमें हर समय पानी जमा रहता था। ये भूगर्भ के जलस्तर को बनाए रखते थे। बारिश का पानी भी इसमें जमा होता था, जिससे गर्मी के दिनों में पानी की समस्या नहीं होती थी। अब शहर क्या गांव में भी जलाशय दुर्लभ होते जा रहे। सड़क से लेकर घर तक हर जगह जमीन का पक्कीकरण हो रहा। इससे बारिश का पानी जमीन में वापस नहीं जा रहा। पटना का वाटर लेवल चालीस साल में चार मीटर तक नीचे चला गया है। राजस्थान का एक चौथाई हिस्सा रेगिस्तान है। यहां की एक बड़ी आबादी का जीवन सिर्फ जल के इर्द-गिर्द घूमता है। सुबह उठने के बाद ही लोगों का पानी के लिए जद्दोजहद शुरू हो जाती है। बिहार में पानी आसानी से उपलब्ध था, शायद इस कारण लोगों ने इसकी अहमियत नहीं समझी। अब प्रदेश के कई हिस्से जलसंकट झेल रहे हैं। विशेषज्ञ बताते हैं छत का पानी जमीन में उतारने के लिए रूफ वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम सभी घरों में लग जाए तो ही जल संकट टल सकता है। जिन्होंने इसे अपनाया, उसका फायदा भी देख रहे हैं। सरकारी स्तर पर तो हालत बेहद खराब है। इस कड़ाई के बाद सरकारी स्तर पर सुधार की उम्मीद है, लेकिन जरूरी है कि आम नागरिक पानी के महत्व को समझे। पानी की बर्बादी रोकने के उपाय सोचे। साथ ही निजी मकानों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था कड़ाई से लागू कराई जाए। जब तक लोग इस बारे में जागरूक नहीं होंगे, सुधार की उम्मीद नहीं की जा सकती। कड़ाई के साथ इसके प्रचार-प्रसार की भी जरूरत है, क्योंकि जल बचेगा, तभी जीवन सुरक्षित रहेगा।

[ स्थानीय संपादकीय : बिहार ]