बतौर वित्तमंत्री मुख्यमंत्री रघुवर दास ने सोमवार को जो झारखंड विधानसभा में बजट पेश किया, वह पूरी तरह विकासपरक है। बजट में सभी वगोर्ं का ध्यान रखा गया है। बजट में किसी तरह के नए टैक्स का प्रावधान नहीं कर रघुवर ने राहत भरा संदेश दिया है। इस बजट में आदिवासियों का भी खास ख्याल रखा गया है। इनके लिए अलग से बजट के अलावा इंदिरा गांधी राष्ट्रीय विश्वविद्यालय की तर्ज पर जनजातीय विश्वविद्यालय खोलने की घोषणा की गई है। आदिवासी छात्र-छात्रओं के लिए शिक्षा ऋ ण गारंटी योजना की भी शुरुआत की गई है। इसके पीछे सरकार का उद्देश्य यह कि पैसों की कमी उनकी उच्चतर शिक्षा की राह में बाधक नहीं बने। शिक्षा के क्षेत्र में आमूलचूल परिवर्तन लाने का संकल्प भी बजट में नजर आ रहा है। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए सरकार शिक्षकों को टैब देगी। इसी तरह मेधावी छात्रों की उच्च शिक्षा के लिए मुख्यमंत्री फेलोशिप योजना, धनबाद में कोयलांचल विश्वविद्यालय, बोकारो और रांची के साथ देवघर में इंजीनियरिंग कॉलेज, सभी प्रमंडलों में फार्मेसी कॉलेज और बाबा बैद्यनाथ संस्कृत विश्वविद्यालय खोलने का सरकार का प्रस्ताव शिक्षा में सुधार की दिशा में सरकार की दृढ़ इच्छाशक्ति को दर्शाता है। खेतों में हरियाली व किसानों के चेहरे पर मुस्कान लाने के लिए सरकार ने कृषि बजट में 12 फीसद की वृद्धि की है। इस वित्तीय वर्ष में 25 हजार कृषकों को सिंचाई के लिए पंप सेट उपलब्ध कराने का सरकार ने निर्णय लिया है। राज्य में सुखाड़ का दंश ङोल रहे किसानों को प्रशिक्षित करने का सरकार ने बीड़ा उठाया है। इसके तहत प्रत्येक पंचायत में किसान पाठशाला की शुरुआत सराहनीय कदम है। बजट में सरकार का खासा जोर गांवों के विकास पर है, कारण गांव समृद्ध होंगे तो राज्य व देश भी समृद्ध होगा। पुलिस को फ्रेंडली बनाने और लॉ एंड आर्डर को दुरुस्त करने के लिए सभी जिलों में पुलिस आपके द्वार कार्यक्रम की शुरुआत सकारात्मक कदम है, इससे लोग बेखौफ होकर अपनी परेशानी साझा कर सकेंगे। बजट में की गई घोषणाएं यदि धरातल पर उतरती हैं तो वो दिन दूर नहीं जब राज्य विकास के मार्ग पर तेजी से चल पड़ेगा। अब जरूरत इन घोषणाओं की कड़ी मॉनीटरिंग की है। इन योजनाओं को धरातल पर लाने के लिए सरकारी मिशनरी को भी विशेष रूप से सक्रिय होना होगा। नहीं तो पिछले वर्ष की तरह कई घोषणाएं धरातल पर नहीं उतर पाएंगी।

[ स्थानीय संपादकीय : झारखंड ]