राष्ट्रपति चुनाव को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा विरोधी दलों को एकजुट करने की रणनीति का हिस्सा बनने के लिए तृणमूल प्रमुख ममता बनर्जी दिल्ली दौरे पर गई हैं। मंगलवार को उनकी सोनिया के साथ-साथ विरोधी दलों के कई और नेताओं के साथ बैठक होने की चर्चा है। परंतु, जिस तरह से ममता के बुलावे को लेकर बंगाल के कांग्रेस नेता सवाल उठाए हैं और हाईकमान को पत्र लिखे हैं उससे ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस राज्य नेतृत्व तृणमूल के साथ किसी तरह के संबंध नहीं रखने के पक्ष में हैं। परंतु, कांग्रेस केंद्रीय नेतृत्व की मजबूरी कहें या फिर जरूरत है कि वह ममता से हाथ मिलाना चाहता है। दो दिन पहले ही प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर चौधरी ने सोनिया गांधी को पत्र लिखा है जिसमें तृणमूल को गणतंत्र विध्वंसक पार्टी की संज्ञा दी है। इसके अगले ही दिन रविवार को सात नगर पालिकाओं के लिए हुए मतदान के दौरान जिस तरह से गुंडागर्दी हुई इसके बाद बंगाल के कांग्र्रेस से लेकर माकपा नेता तक कह रहे हैं कि तृणमूल ने गणतंत्र की हत्या कर मतदान को मजाक बना दिया है। ऐसे में राष्ट्रपति चुनाव को लेकर सोनिया की ममता के साथ बैठक और माकपा को भी साथ लेने के प्रयास को क्या कहा जाएगा? यह बड़ा सवाल है। राष्ट्रपति चुनाव में यदि कांग्रेस के साथ तृणमूल व माकपा खड़ी भी हो जाती है तो इसका लोगों में क्या संकेत जाएगा? इसे अवसरवादी राजनीति नहीं तो क्या कहा जाए? ऐसे कई सवाल उठना लाजिमी है। एक ओर भाजपा को हराने के लिए सभी विरोधी दल एकजुट होने की बात कह रहे हैं तो दूसरी ओर राज्य चुनाव में साथी दल के कार्यकर्ताओं व समर्थकों के हाथों मार खा रहे हैं। यह सही है कि रविवार को मतदान के दौरान जिस तरह की घटनाएं मीडिया के कैमरे में कैद हुई हैं उससे लोगों का चुनाव पर से भरोसा उठ सकता है। क्योंकि, जिस तरह से मतदाताओं को मारापीटा गया। बम व गोलियों का इस्तेमाल किया गया उसके बाद क्या लोग आगामी अन्य चुनावों में घर से निकल कर वोट डालने के लिए बूथ तक जाने का साहस दिखा पाएंगे? ऐसे में यदि अधीर चौधरी ने पार्टी प्रमुख को लिखे पत्र में कहा है कि तृणमूल गणतंत्र विध्वंसक पार्टी है तो यह कल की घटना के बाद कहीं न कहीं सही प्रमाणित तो नहीं हो रहा है? इन घटनाओं के एक दिन बाद ही ममता का दिल्ली दौरा हो रहा है।
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(हाईलाइटर:::दो दिन पहले ही प्रदेश कांग्र्रेस अध्यक्ष अधीर चौधरी ने सोनिया गांधी को पत्र लिखा है जिसमें तृणमूल को गणतंत्र विध्वंसक पार्टी की संज्ञा दी है।)

[ स्थानीय संपादकीय : पश्चिम बंगाल ]