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इंट्रो
डिपुओं में मिलने वाले सरकारी राशन में बार-बार कटौती हो रही है। चीनी, आटे के बाद चावल कोटा कम किया जा रहा है।
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हिमाचल के राशनकार्डधारक डिपुओं में मिलने वाले सस्ते राशन को लेकर असमंजस में हैं। पहले केंद्र सरकार ने सस्ती चीनी के कोटे पर कैंची चलाई। केंद्र ने पहले हिमाचल में चीनी पर दी जा रही सब्सिडी को बंद कर दिया था। उसके बाद राज्य सरकार ने उपभोक्ताओं की दिक्कत को देखते हुए चीनी के कोटे में अपनी तरफ से कुछ राहत दी। ताजा अपडेट यह है कि गरीबी रेखा से नीचे जीवन बसर कर रहे लोगों को केंद्र सरकार ने एक किलो चीनी सस्ती दर पर देने का ऐलान किया है। यह चीनी 13.50 रुपये प्रति राशनकार्ड के हिसाब से दी जाएगी। ऐसे परिवारों को मिलने वाला शेष कोटा 18 रुपये प्रति किलो मिलेगा। इसके अलावा गरीबी रेखा से ऊपर जीवन जी रहे एपीएल उपभोक्ताओं को 29 रुपये किलो की दर से चीनी मिलेगी। हिमाचल में करीब 18 लाख राशनकार्डधारक हैं। इनमें करीब 12 लाख गरीबी रेखा से ऊपर वाले और छह लाख गरीबी रेखा से नीचे हैं। अब एपीएल परिवारों के चावल कोटे में तीन किलो की कटौती होने जा रही है। एपीएल परिवारों को छह किलो चावल ही मिलेंगे। सरकार एपीएल परिवारों को मिलने वाले आटे में पहले ही कटौती कर चुकी है। असल में लोगों को हिमाचल सरकार के राशन डिपुओं का बड़ा सहारा है। देश में जब महंगाई चरम पर जा पहुंचती है तो ये डिपो आम जनता के करीब दिखते हैं। बड़ी बात यह है कि कभी इन डिपुओं में सिर्फ सस्ती चीनी ही मिलती थी। अब दाल, चावल, आटा और तेल कम दामों पर उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। हां, इतना जरूर है कि हर माह कुछेक दालें मिलने से लोग सवाल उठाने लग पड़े थे कि बार-बार वही दालें क्यों खरीदें? राज्य सरकार इस दिशा में भी काम कर रही है। बताया जा रहा है कि अब पांच दालों का विकल्प दिया जा रहा है। यह उपभोक्ता हित में बड़ा और अच्छा निर्णय है। राशन में कटौती और बदलाव के कारण उपभोक्ता परेशानी झेलने को मजबूर हो रहे हैं। इससे कई बार राशन की सप्लाई में देरी भी हो रही है। सब्सिडी बंद करने के पीछे सरकार की ठोस वजह हो सकती है, पर कई साल से मिल रहे राशन पर यूं कैंची चलाना उपभोक्ता हित में नहीं है। केंद्र और राज्य सरकारों को चाहिए कि लोगों की जरूरत को देखते हुए निर्णय लें। साथ ही कुछ माह बाद दी जाने वाली दालें भी बदलते रहना चाहिए।

[ स्थानीय संपादकीय : हिमाचल प्रदेश ]