-----कर्जमाफी किसानों की हिम्मत बंधाने का उपक्रम है। इसकी जितनी भी प्रशंसा की जाए, वह कम ही होगी।-----कई वर्षो से कर्ज के बोझ तले दबकर भुखमरी और आत्मघात के शिकार हो रहे छोटे व मंझोले किसानों के जख्मों पर सरकार मरहम लगा रही है। कर्ज माफी या फसल ऋण मोचन योजना चुनावी घोषणा पत्र से निकलकर अब हकीकत में साकार हो रही है। इसकी जितनी प्रशंसा की जाए कम है लेकिन, यह भी देखना जरूरी होगा कि दोबारा यह स्थिति न आये। यह देखना सुखद है कि कर्ज माफी योजनान्तर्गत पात्र पाए गए किसानों को ऋ ण मोचन प्रमाण पत्र कैंप तथा पखवाड़ा आयोजित कर निरंतर वितरित किए जा रहे हैं। योजना के पहले चरण में प्रदेश में कुल 7,371 करोड़ रुपये की धनराशि पात्र पाए गए कुल 11,93,224 किसानों के ऋण खातों में भेजी जा चुकी है। कुछ जिलों में आयोजित कैंपों में अत्यधिक कम धनराशि के ऋण-मोचन प्रमाण पत्रों के वितरण के सम्बन्ध में भ्रम की स्थिति जरूर पैदा हुई है। पात्र किसानों के ऋण खातों में न केवल ऋण की धनराशि मोचित की गई है, बल्कि किसानों द्वारा ऋण के प्रति भुगतान की गई धनराशि को घटाने के बाद, उस पर बचे ब्याज का भी एक लाख रुपये की सीमा तक मोचन योजना में निर्धारित मानदंडों के अनुसार किया गया है।निश्चित रूप से किसानों की कर्जमाफी राज्य सरकार द्वारा देर से उठाया गया एक ऐसा कदम है जिससे न केवल किसान लुटने-पिटने से बचेगा बल्कि खुदकुशी जैसी अवांछित घटनाएं भी थमेंगी। कर्जमाफी के बाद किसान अनेकानेक उन चिंताओं से मुक्त हो सकेंगे जिनके चलते वह खेती-किसानी में पर्याप्त मन नहीं लगा पा रहे थे। कर्जदार किसानों में बड़ी संख्या बुंदेलखंड की है जहां कभी सूखा तो कभी अतिवृष्टि के चलते कई वर्षो से फसल चौपट होती आ रही है। वास्तव में कर्जमाफी किसानों की हिम्मत बंधाने का उपक्रम है। इसकी जितनी भी प्रशंसा की जाए, वह कम ही होगी लेकिन, यह मान लेना कि किसानों की समस्या इसे पूरी तरह निदान हो जाएगा, भूल होगी। भरोसा किया जाना चाहिए कि भविष्य में भी सरकार किसान हित में कदम उठाने से पीछे नहीं रहेगी। उसे किसानों की फसल का वाजिब मूल्य दिलाने, खेती की लागत कम करने और किसानों के लिए लाभदायक बनाने के लिए भी कदम उठाने होंगे। कर्जमाफी के बाद किसानों की दृष्टि अब सरकार के ऐसे ही कदमों पर होगी। उम्मीद है उसे निराश नहीं होना पड़ेगा।

[ स्थानीय संपादकीय: उत्तर प्रदेश ]