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ब्लर्ब में
विभाग की उदासीनता से ऐसी बीमारी पर काबू नहीं पाया जा सका है जो हर साल दस्तक देती है। विभाग इस बीमारी के बारे में लोगों को जागरूक भी नहीं कर पाया है
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लोग स्वस्थ होंगे तो उनका मन भी स्वस्थ होगा। तभी वे कुछ रचनात्मक कार्य कर देश-प्रदेश के विकास में सहायक बन सकते हैं। पिछले कुछ साल से स्वाइन फ्लू, डेंगू व स्क्रब टायफस जैसी जानलेवा बीमारियां पहाड़ के लोगों को न केवल भयभीत कर रही हैं बल्कि कई जिंदगियां भी लील रही हैं। सबसे बड़ा संकट स्वाइन फ्लू बन रहा है, जो हर साल घातक साबित हो रहा है। दावे जो भी हों, लेकिन इस सच्चाई से मुंह नहीं मोड़ा जा सकता कि इस पर काबू पाने के सरकारी प्रयास नाकाफी साबित हुए हैं। इस साल फिर स्वाइन फ्लू ने प्रदेश में दस्तक दे दी है और अब तक इससे दो लोगों की मौत हो चुकी है। प्रदेश के दो बड़े स्वास्थ्य संस्थानों इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल शिमला व डॉ. राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल कांगड़ा स्थित टांडा में स्वाइन फ्लू से पीडि़त होने की आशंका के चलते 56 लोगों के खून की जांच की जा चुकी है। इनमें नौ केस पॉजिटिव पाए गए हैं। रोजाना बीमारी से पीडि़त लोगों के मामले सामने आ रहे हैं, जिससे लोगों की चिंता बढऩा स्वाभाविक है। यह कहने में हर्ज नहीं है कि अधिकतर बीमारियां लोगों की अज्ञानता से भी बढ़ती हैं। इस रोग के हर साल फैलने का मुख्य कारण लोगों की लापरवाही भी है। जरूरत फ्लू से डरने की नहीं बल्कि इसके लक्षणों के बारे में जानने व सावधानी बरतने की है। हिमाचल के चार मेडिकल कॉलेजों आइजीएमसी शिमला, टांडा मेडिकल कॉलेज, लाल बहादुर शास्त्री मेडिकल कॉलेज नेरचौक (मंडी) व नाहन मेडिकल कॉलेज में स्वाइन फ्लू के टेस्ट की सुविधा उपलब्ध है, परंतु अभी जिला अस्पतालों तक यह सुविधा नहीं पहुंच पाई है। लोग पहले बीमारी को गंभीरता से नहीं लेते, लेकिन जब स्थिति बिगड़ती है तभी वे अस्पताल पहुंचते हैं। इस बात की भी अनदेखी नहीं की जा सकती कि स्वास्थ्य विभाग जानलेवा बीमारी की रोकथाम नहीं कर पा रहा है। शासन-प्रशासन की गंभीरता का आलम यह है कि जब स्थिति हाथ से निकलने लगती है तभी सरकार व विभाग हरकत में आते हैं। अगर यही सक्रियता समय रहते हो तो मुमकिन है कि कई कीमती जानों को बचाया जा सकेगा। बेहतर हो कि समय पर स्वास्थ्य विभाग लोगों को जागरूक करे। इसके लिए विशेष अभियान भी चलाए जाने चाहिए। लोगों को भी हर बीमारी को गंभीरता से लेने की आदत बनानी होगी।

[ स्थानीय संपादकीय : हिमाचल प्रदेश ]