--------यात्री लगातार शिकायत करते हैं पर उच्च अधिकारी आंख और कान बंदकर बैठ जाते हैं। ---------राज्य की नई सरकार निरंतर एक्शन में नजर आ रही है। वर्षो से बदइंतजामी का शिकार परिवहन विभाग में भी कई बदलाव हो रहे हैं। विभाग को दलालों से मुक्त कराने के लिए लगातार छापेमारी की जा रही है। रोडवेज बसों की संख्या बढ़ाई जा रही है और गांवों को रोडवेज बस सेवा से जोड़ने की दिशा में काम हो रहा है। गढ़मुक्तेश्वर में खाली पड़ी परिवहन निगम की 55 बीघा भूमि पर अंतरराष्ट्रीय बस अड्डा विकसित किए जाने की योजना बनी है। ओवरलोड वाहनों पर लगाम लगा दी गई है। 80 प्रतिशत डग्गामार वाहनों को बंद करा दिया गया है। बसों में साफ-सफाई को लेकर विशेष सतर्कता बरती जा रही है। परिवहन मंत्री का कहना है कि उत्तर प्रदेश में एक लाख लोगों पर मात्र पांच बस हैं। इसे बढ़ाया जाएगा। परिवहन मंत्री व्यवस्था को दुरुस्त कराने के लिए स्वयं औचक निरीक्षण कर रहे हैं। वह कई रोडवेज बस स्टैंडों का अचानक निरीक्षण करने पहुंच चुके हैं। बस में मिली गंदगी देख अफसरों और कर्मचारियों को जमकर फटकार लगाई। बसों की साफ-सफाई के लिए बेंगलुरु की एक निजी कंपनी को ठेका दिया गया है। मंत्री ने कंपनी के कर्मचारियों को बसों में सफाई न होने पर चेतावनी दी कि अगर कार्य में लापरवाही बरती गई तो ठेका निरस्त कर दिया जाएगा। परिवहन विभाग में व्याप्त अव्यवस्थाओं को दूर करने के लिए मंत्री की यह सक्रियता निसंदेह प्रशंसनीय है। रोडवेज बसों की हालत कैसी है, यह बात किसी से छिपी नहीं है। सड़कों पर दौड़ती खटारा बसें अक्सर दुर्घटनाओं का सबब बनती हैं। बस के अंदर फटी हुई सीटें, खिड़की के टूटे शीशे जैसे नजारे आम बात हैं। गर्मियों में तो खास दिक्कत नहीं होती लेकिन, ठंड में टूटी खिड़कियों से आने वाली सर्द हवाएं शरीर बेध जाती हैं। यात्री लगातार शिकायत करते हैं पर उच्च अधिकारी आंख और कान बंदकर बैठ जाते हैं। आरटीओ दफ्तर में लाइसेंस बनवाने वालों को बिना दलाल के सफलता ही नहीं मिल पाती है। अंदर काउंटर पर बाबू पचास तरह के पेच बताकर लाइसेंस बनाने में आनाकानी करेगा पर जैसे ही किसी दलाल की सहायता ली जाती है, वही बाबू कम से कम समय में लाइसेंस बनाकर दे देता है। उम्मीद है अब ये सारी समस्याएं गुजरे दिनों की बात हो जाएंगी।

 [ स्थानीय संपादकीय : उत्तर प्रदेश ]