झारखंड तेजी से भ्रष्टाचार के प्रति शून्य सहनशीलता की ओर बढ़ रहा है। यह सुखद है और इसके लिए शासन तंत्र के जिम्मेदार अधिकारी धन्यवाद के पात्र हैं। कतिपय कारणों से झारखंड की छवि भ्रष्टाचार के कारण धूमिल हो रही थी लेकिन सत्ता में आने के बाद मुख्यमंत्री रघुवर दास ने इस दिशा में गंभीरता से प्रयास किया। निगरानी ब्यूरो को एंटी करप्शन ब्यूरो में तब्दील किया गया। लगातार भ्रष्ट सरकारी कर्मी और पदाधिकारी घूस लेते रंगे हाथों पकड़े जा रहे हैं। सरकारी धन को चूना लगाने वाले अधिकारी भी इसकी जद में आ रहे हैं। वैसे पदाधिकारियों के खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई हो रही है जिनके खिलाफ लंबे अरसे से कार्यवाही चल रही थी। दुमका-साहिबगंज के खनन पदाधिकारी का निलंबन भी इसकी एक कड़ी है। ऊंची पहुंच के बल पर खनन पदाधिकारी ने अराजकता फैला रखी थी। दुमका के उपायुक्त के आदेश की भी इन्होंने अवहेलना की। उपायुक्त ने पूरे वाकये से राज्य सरकार को अवगत कराया। आरंभिक जांच के बाद खनन पदाधिकारी निलंबित कर दिए गए हैं। यह अन्य पदाधिकारियों के लिए भी संकेत है जो अपनी पहुंच का घमंड रखते हैं। उन्हें ध्यान रखना चाहिए कि वे सतत निगरानी के दायरे में हैं और अनियमितता करेंगे तो देर-सवेर कार्रवाई अवश्य होगी। कई वैसे पदाधिकारियों के खिलाफ भी राज्य सरकार ने एक्शन लिया है जो सेवानिवृत्त हो चुके हैं। जांच टीम गठित कर आरोपपत्र तय किए जा रहे हैं। ऐसे रिटायर कर्मियों के पेंशन मद से राशि काटी जा रही है। सरकार के फैसले से भ्रष्ट कर्मियों में हड़कंप मचा हुआ है। यही सुशासन की पहली शर्त है कि आम जनता को तंग करने वाले कर्मी कार्रवाई की जद में आएं। एक कदम आगे बढ़कर राज्य सरकार ने वैसे बीडीओ-सीओ को भी चिह्नित करना आरंभ किया है जो ड्यूटी से गायब रहते हैं। कार्मिक विभाग ने ऐसे अफसरों की पूरी सूची तलब की है। जिम्मेदारी निर्धारित होने के बाद ऐसे अफसरों के खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिए। कारगर शासन तंत्र में बिचौलियों की कोई भूमिका नहीं होती। ज्यादातर कल्याणकारी सेवाओं को डिजिटल कर राज्य सरकार ने इस मुहिम को गति दी है। विद्यार्थियों की छात्रवृत्ति सीधे खाते में जा रही है तो गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों को डाक विभाग के जरिए घर में राशन की आपूर्ति की जा रही है। सेवा प्रदान करने के लिए समय निर्धारित किया गया है। यह बदलती कार्यसंस्कृति का परिचायक है और झारखंड सरीखे राज्य के लिए शुभ संकेत।
हाइलाइटर
भ्रष्टाचार पर सरकार के कड़े फैसले से भ्रष्ट कर्मियों में हड़कंप मचा हुआ है। यही सुशासन की पहली शर्त है कि आम जनता को तंग करने वाले कर्मी कार्रवाई की जद में आएं।

[ स्थानीय संपादकीय : झारखंड ]