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कश्मीर में बिगड़े हालात के कारण प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का लागू न हो पाना दुर्भाग्यपूर्ण है, किसी भी कंपनी ने टेंडर नहीं भरा
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बिगड़े हालात के कारण प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का कश्मीर में लागू न हो पाना दुर्भाग्यपूर्ण है। इससे तो घाटी के किसानों को किसी भी प्राकृतिक आपदा में कोई लाभ नहीं मिल पाएगा। विडंबना यह है कि फसल बीमा योजना देशभर में लागू हो गई है, लेकिन कश्मीर संभाग में बिगड़े हालातों के मद्देनजर योजना के लिए किसी भी कंपनी ने कोई टेंडर तक नहीं भरा। बेशक जम्मू संभाग के दस जिलों में यह योजना लागू हो गई है, लेकिन जिन 18 कंपनियों को सरकार ने फसल बीमा के लिए चिन्हित किया, उनका घाटी में योजना शुरू करने के लिए कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। विडंबना यह है कि सरकार को इसके लिए चौथी बार निविदाओं को सार्वजनिक करना पड़ा है। कंपनियां का तर्क भी ठीक है कि मुआवजे के लिए फील्ड लेवल मॉनीटङ्क्षरग होनी है, और यह तब संभव होगा जब कश्मीर के हालातों में सुधार आए। दो साल पहले कश्मीर का विश्व प्रसिद्ध सेब की फसल खराब हो गई थी, जिससे किसानों को काफी नुकसान झेलना पड़ा था। अगर घाटी में हालात नहीं सुधरे तो यहां के बागवान सरकार की इस योजना से महरूम हो जाएंगे। उन्हें भी लगेगा भी कहीं न कहीं ठगे गए हैं। इस सब के लिए अगर अलगाववादियों को दोषी ठहराया जाए तो इसमें कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। जम्मू-कश्मीर का किसानों के साथ मौसम बड़ा खेल करता रहा है। वर्ष 2014 में राज्य में आई भीषण बाढ़ ने किसानों ने कहीं का नहीं छोड़ा। यहां तक कि किसानों ने बीज, खाद पानी के लिए जो कर्ज लिया था, उसमें डूब गए। जम्मू संभाग में धान, मकई व सरसों की फसल तबाह हो गई। यहां तक कि किसानों को लगने लगा कि अब खेती में उन्हें कोई लाभ नहीं। इस वजह से किसानों ने भी अपनी जमीनें बेच किसी और धंधे को अपनाने के लिए मजबूर हो गए। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना अगर लागू होगी तो किसानों का खेतीबाड़ी में विश्वास बढ़ेगा। वे बेझिझक होकर आधुनिक खेती में हाथ आजमाएंगे। यहां तक संभव होगा वे साल में दो की बजाए चार फसल के अलावा उनका रुझान कैश क्रॉप की तरफ बढ़ेगा। सरकार को चाहिए कि बीमा योजना का लाभ अधिक से अधिक किसानों को मिले। किसान अगर खुशहाल होगा तो राज्य की आर्थिक दशा बेहतर होगी। सरकार को इसे अविलंब घाटी में लागू करवाने की दिशा में कदम बढ़ाने चाहिए।

[ स्थानीय संपादकीय : जम्मू-कश्मीर ]