कुछ अर्से से हिमाचल प्रदेश में लगातार आपराधिक घटनाओं में वृद्धि न केवल झकझोरने वाली है बल्कि यह सवाल भी खड़ा करती हैं कि शांत माने जाने वाले प्रदेश का समाज किस दिशा में जा रहा है। ऐसी कौन सी मजबूरी है कि संबंधों में बंधे लोग भी अच्छे-बुरे की पहचान से वंचित हो गए हैं और अपराध की गर्त में धंस रहे हैं। दुखद है कि प्रदेश में रिश्तों का लिहाज भी नहीं रखा जा रहा। रिश्ते खून से लथपथ हो रहे हैं जबकि देवी का रूप माने जाने वाली महिलाएं भी सुरक्षित नहीं हैं। मंडी जिले के सरकाघाट में कॉलेज से घर जाती छात्र के अपहरण का प्रयास बताता है कि युवा पीढ़ी किस ओर जा रही है। मंडी जिले के ही कॉलेज में छात्रों के बीच पत्थरबाजी होना भी हमारी नई पीढ़ी के भविष्य पर प्रश्नचिन्ह लगाता है। ऐसी घटनाएं हिमाचली संस्कारों से मेल नहीं खातीं। स्कूल जाने से पहले बच्चे घर पर ही संस्कार सीखते हैं, यही संस्कार आगे जाकर परिवार की पहचान बनते हैं। जरूरी है कि माता-पिता बच्चों की गतिविधि पर नजर रखें। चोरी व ठगी की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं। युवाओं को नशे का सामान बेचकर अपनी जेबें तो भरी जा रही हैं, लेकिन कहीं यह नहीं सोचा जा रहा कि प्रदेश के कर्णधारों को किस दिशा में ले जाया जा रहा है। युवाओं को नशे की लत लगाने का अर्थ यह है कि उस पीढ़ी को अपंग बनाया जा रहा है, जो आने वाले समय में प्रदेश के विकास में योगदान देने वाली है। स्थिति यह है कि लोगों की सोच आत्मकेंद्रित होने लगी है। न उन्हें प्रदेश के हितों से कोई सरोकार है और न ही समाज से। लोगों को समझना होगा कि अपराध करने के बाद केवल वही सजा नहीं भुगतते बल्कि उनके परिजनों को भी सजा ङोलनी पड़ती है। अपराधी को सजा मिलना तय है लेकिन परिजन हर रोज तिल-तिल कर मरते हैं। ऐसे में जरूरी है कि सकारात्मक सोच के साथ युवा पीढ़ी आगे बढ़े। किसी भी विवाद को टाला जा सकता है अगर थोड़ी सी समझदारी से काम लिया जाए। हमें अपने बुजुर्गो से सबक लेना होगा, जिन्होंने सच्चाई व कर्मठता के दम पर अति पिछड़े राज्य को विकास के पथ पर अग्रसर किया। अपराध पर रोक लगाने के लिए जरूरी है कि युवा पीढ़ी को नैतिकता का पाठ पढ़ाया जाए। उन्हें शुरू से ही ऐसे संस्कार दिए जाएं कि गलत रास्ते पर उनके कदम न पड़ें क्योंकि उन्हें ही प्रदेश और राष्ट्र का निर्माण करना है। पुलिस प्रशासन अपराध रोकने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है मगर इस मामले में लोगों का सहयोग न मिले तब तक कुछ नहीं हो सकता है। खासकर युवाओं को इस संबंध में चेताने की जरूरत है।

[ स्थानीय संपादकीय : हिमाचल प्रदेश ]