यदि शिक्षक ही अनैतिक कार्यों में संलिप्त रहेंगे, छात्राओं से छेड़छाड़ करेंगे तो फिर बच्चों की मन पर क्या प्रभाव पड़ेगा इसका अंदाजा लगाना कठिन नहीं है।
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पंजाब में ऐसे कई शिक्षण संस्थान हैं, जो बच्चों और समाज के लिए आदर्श साबित हो रहे हैं, वहीं कई ऐसे स्कूल भी हैं, जहां हो रही करतूतों के कारण समूचा शिक्षा जगत और समाज चिंतित है। गत दिवस भी मोगा के कस्बा समालसर स्थित एक स्कूल में एक अध्यापक व अध्यापिका रंगरलियां मनाते हुए पकड़े गए। पकड़े गए अध्यापक को गांववासियों ने पुलिस के हवाले कर दिया। इससे पहले हरियाणा के गुरुग्राम स्थित रेयान इंटरनेशनल स्कूल में विगत दिनों जो कुछ हुआ वह किसी को भी दहला देने के लिए काफी है। पिछले दिनों पिंजौर में एक अध्यापक ने छात्रा से छेड़छाड़ की थी, जिस पर अभिभावकों ने उसकी पिटाई कर दी थी। गत दिवस हरियाणा के पानीपत में एक स्वीपर पर छात्रा से छेड़छाड़ करने का आरोप लगा है, जिसे लेकर वीरवार को दिनभर अभिभावकों ने धरना-प्रदर्शन किया। कुल मिलाकर यह स्थिति शिक्षा जगत के साथ ही बच्चों, अभिभावकों, पुलिस और समाज सभी के लिए चिंता का सबब है। स्कूलों पर कितनी बड़ी जिम्मेदारी होती है, इसका अंदाजा सभी को है। मां-बाप अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा, संस्कार के लिए स्कूल भेजते हैं और शिक्षकों से उम्मीद की जाती है कि वे बच्चों के भविष्य का उचित निर्माण करेंगे। अपने कर्म, वचन से ऐसी शिक्षा देंगे, जिससे बच्चे एक अच्छे व सुशिक्षित समाज के निर्माण में सहायक साबित होंगे। परंतु यदि शिक्षकों द्वारा ही रंगरलियां मनाने, छात्रों से छेड़छाड़ करने जैसे मामले सामने आएंगे तो फिर बच्चों की मन:स्थिति पर क्या प्रभाव पड़ेगा इसका अंदाजा लगाना कठिन नहीं है। इसके अतिरिक्त आज भी तमाम स्कूलों में और बहुत सी स्कूल बसों में सुरक्षा के लिए आवश्यक दिशानिर्देशों की अनदेखी की जाती है। कोई हादसा होने पर कुछ समय के लिए जांच, पड़ताल, सख्ती जैसे उपक्रम होते हैं, पर समय बीतने के साथ ही सब कुछ पहले की तरह चलने लगता है। सरकार और प्रशासन को ऐसी व्यवस्था बनानी चाहिए, जिससे स्कूलों की नियमित जांच होती रहे और जो भी नियम तोड़ता हुआ पाया जाए, उसके खिलाफ अनिवार्य रूप से कड़ी कार्रवाई हो। शिक्षकों को भी अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए, गुरु को गोविंद से भी ऊपर का दर्जा दिया गया है। उन्हें चाहिए कि वे अपने बीच मौजूद कुंठित मानसिकता व आपराधिक प्रवृत्ति वाले शिक्षकों की पहचान कर उन्हें बाहर निकालें, ताकि इस पेशे की पवित्रता कायम रखी जा सके।

[ स्थानीय संपादकीय: पंजाब ]