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विद्यार्थियों और युवाओं को भड़काने में अलगाववादी कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। कश्मीर में बिगड़े हालात का असर पर्यटन सीजन और बाबा अमरनाथ यात्रा पर भी पडऩा तय है
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कश्मीर में लगातार हो रही हिंसक झड़पें चिंताजनक हैं। नि:संदेह जिस प्रकार से विद्यार्थियों व युवाओं को अलगाववादी भड़का रहे हैं, उससे निकट भविष्य में भी हालात सामान्य होते नहीं दिख रहे हैं। इसका असर पर्यटन पर भी पडऩा स्वाभाविक है। यह बात किसी से छुपी नहीं है कि घाटी में विगत वर्ष हिजबुल मुजाहिदीन कमांडर बुरहान वानी की मौत के बाद करीब पांच महीने तक घाटी में बंद व प्रदर्शनों का दौर जारी रहा, जिससे करोड़ों रुपयों का नुकसान होने के साथ-साथ पर्यटन को भी धक्का लगा था। इस बार फिर से अलगाववादियों ने विद्यार्थियों को सड़क पर उतरने के लिए भड़काया। विवश प्रशासन को घाटी के स्कूल-कॉलेजों को बंद करना पड़ा। यहां तक की परीक्षाएं भी स्थगित कर दी गईं। यह सही है कि राज्य और केंद्र सरकार हालात पर नजर बनाए हुए है और दो दिन पूर्व थल सेना अध्यक्ष ने भी जम्मू का दौरा कर राज्यपाल और मुख्यमंत्री के साथ आंतरिक सुरक्षा पर चर्चा की। उसके बाद भी हालात में कोई परिवर्तन नहीं है। घाटी में पर्यटन सीजन शुरू हो गया है। हजारों पर्यटक ऐसे हैं जिन्होंने कश्मीर के विभिन्न स्थानों पर बुकिंग करवाई है ताकि गर्मियों में वहां पर कुछ दिन बिता सकें लेकिन जिस प्रकार से अलगाववादी हालात को खराब करने में लगे हुए हैं, उससे सरकार के प्रयासों पर भी पानी फिरता नजर आ रहा है। इस पर गंभीरता से मंथन करने की जरूरत है। पर्यटन राज्य की अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी है। हर वर्ष देश-विदेश से लाखों पर्यटक कश्मीर सहित राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में आते हैं। श्री बाबा अमरनाथ की यात्रा भी जून के अंत में शुरू होने जा रही है। अगर सरकार ने हालात को सामान्य बनाने के लिए प्रयास शुरू नहीं किए तो इसका असर यात्रा पर भी पड़ सकता है। पिछले वर्ष भी यात्रा के दौरान ही कश्मीर के हालात खराब हुए थे और यात्रा में भारी कमी आई थी। सरकार को चाहिए कि वे हालात को सामान्य बनाने के लिए गंभीरता से कदम उठाए। यह सही है कि सोशल साइट पर हो रहे दुष्प्रचार को रोकने के लिए सरकार ने इंटरनेट सेवाओं पर प्रतिबंध लगा दिया है लेकिन अभी बहुत कुछ करने की आवश्यकता है। सरकार को सिविल सोसायटी के सदस्यों को भी विश्वास में लेकर हालात सामान्य बनाने के लिए प्रयास करने होंगे।

[ स्थानीय संपादकीय : जम्मू-कश्मीर ]