झारखंड पुलिस, नक्सलियों-उग्रवादियों के खिलाफ अपने मिशन में कामयाब होती दिख रही है। इस सप्ताह नक्सली गतिविधियों की खबरें छाई रहीं। अच्छी बात यह रही कि भाकपा माओवादी के बड़े नेता नकुल यादव, मदन यादव सहित चार नक्सलियों ने सरेंडर किया। नकुल पर 15 लाख का इनाम था तो मदन पर 5 लाख रुपये का। लगे हाथ लातेहार से 5 लाख के इनामी सब जोनल कमांडर दामोदर यादव के सरेंडर की खबर भी आ गई। एक बड़ी सफलता चतरा से टीएसपीसी उग्रवादी कमलेश गंझू की गिरफ्तारी रही। गंझू को 36 लाख रुपये नकद और एके 47 के साथ गिरफ्तार किया गया। यह बरामदगी संगठन की आर्थिक ताकत बताने के लिए काफी है। गिरफ्तारी हो या सरेंडर पुलिस की कारगर रणनीति, घेराबंदी का हिस्सा माने जाते हैं। बदलते समय के साथ नक्सली भी सिद्धांत से भटक गए। निचले स्तर की इकाइयों में कम पढ़े लोगों को जिम्मेदारी मिली तो वे सिद्धांतों के साथ तालमेल नहीं बैठा सके। अब तो झारखंड में बड़े अपराधी भी चेहरा पेश करने के लिए संगठन चला रहे हैं। मूलत: लेवी और अपराध इनका धंधा बन गया है। महिलाओं और बच्चों को नक्सली अमूमन निशाना नहीं बनाते थे मगर झारखंड में उग्रवादी संगठन बड़े पैमाने पर इनकी मदद ले रहे हैं। जबरिया बच्चों और नाबालिग लड़कियों को अपने संगठन में शामिल कर रहे हैं। नकुल और मदन के सरेंडर करने के बाद बिशुनपुर की एक नाबालिग द्वारा इस संबंध में किए गए खुलासे। बच्चियों के बड़े पैमाने पर शोषण की बात को उजागर किया। यह सिर्फ इस नाबालिग की कहानी नहीं है। नक्सलियों-उग्रवादियों के जमात में ऐसे अनेक नाबालिग बच्चियां फंसी हैं।
झारखंड सरकार भी नक्सलियों के खिलाफ कमर कस कर उतर पड़ी है। नक्सल-उग्रवादी गतिविधियों पर नियंत्रण के लिए एक साथ दो मोर्चो पर काम करना होगा। पुलिस एक्शन के साथ विकास। हालांकि झारखंड सरकार इस मोर्चे पर संवेदनशील दिख रही है। बंदूक का जवाब बंदूक से देने के साथ सुदूर नक्सल इलाकों में समेकित विकास पर भी ध्यान दे रही है। अधिकारी नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में ग्रामीणों के साथ बैठक कर समस्याओं को समझ रहे हैं। निदान के रास्ते निकाल रहे हैं। ध्यान देने की बात यह है कि फोकस एरिया पर वास्तव में फोकस करना होगा। इसे नौकरी के बदले एक जिम्मेदारी भरा टास्क मानना होगा। गंभीरता के साथ समस्या का निदान करना होगा तब कहीं एक सीमा तक उग्रवाद की समस्या पर नियंत्रण पाया जा सकेगा। डीजीपी डीके पांडेय खुद प्रभावित क्षेत्र में जाकर ग्रामीणों से मिल रहे हैंं। सरेंडर करने वालों का उसी शिद्दत से पुनर्वास करना होगा। उससे भी जरूरी है कि ये लोग मुख्य धारा में आ सकें इसके लिए उनकी खातिर रोटी का भी इंतजाम करना होगा। यह सरकार को समझना होगा कि कैसे करे।
हाइलाइटर
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नक्सल क्षेत्रों में आमलोगों की समस्या का गंभीरता के साथ निदान करना होगा तब कहीं एक सीमा तक उग्रवाद की समस्या पर नियंत्रण पाया जा सकेगा।

[ स्थानीय संपादकीय : झारखंड ]