शिक्षा के नाम पर अभिभावकों का जमकर आर्थिक शोषण हो रहा है। चूंकि सरकारी विद्यालयों की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है, इसलिए भी अभिभावक प्राइवेट स्कूलों में नामांकन के लिए मजबूर हैं। प्राइवेट स्कूल चल तो रहे हैं, लेकिन इन पर कोई कानून लागू नहीं होता। ये सरकार की गाइडलाइन की काट भी निकाल लेते हैं। अभिभावकों से री एडमिशन तो कभी डेवलपमेंट फीस तो कभी साइंस लैब आदि के नाम पर मोटी राशि वसूली जाती है। इतना ही नहीं, नामांकन के समय बच्चे या अभिभावकों के इंटरव्यू लेने पर सख्त रोक है, फिर भी उनका इंटरव्यू लिया जाता है। स्कूल बसों से लेकर स्कूल परिसर तक के मानकों की ठीक से जांच करा दी जाए तो अधिसंख्य स्कूल इसमें फेल होंगे। इसके बाद भी इन्हें न कोई रोकने वाला है, न कोई टोकने वाला। अभिभावक शिकायत लेकर जाएं तो जाएं कहां? एक तरह से शिक्षा के नाम पर शोषण ही हो रहा है। ऐसा नहीं कि सारे स्कूल ही ऐसे हैं, पर कुछ को छोड़ दिया जाए तो लगभग की स्थिति ऐसी ही है। किताब, नोटबुक और ड्रेस के नाम पर अलग दोहन होता है। इस पर गाहे-बगाहे प्रशासन की नजर जाती है, पर ऐसा कोई कानून नहीं है, जिससे स्कूलों पर नकेल कसी जा सके। कई राज्यों में इसके लिए कानून बने हुए हैं। शिक्षा न्यायाधिकरण है, जहां लोग अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं और वहां इसकी सुनवाई होती है। ऐसी एजेंसियां उनकी गतिविधियों पर नजर रखती हैं। अभिभावकों और छात्र-छात्राओं के हितों का ख्याल रखते हुए समय-समय पर निर्देश जारी करती हैं। उसकी मानीटरिंग भी करती हैं। सरकार की घोषणा से यह उम्मीद जगी है कि बिहार में भी प्राइवेट स्कूलों की मनमानी पर शिकंजा शीघ्र ही कसेगा। विभाग ने कहा है कि कुछ राज्यों की मौजूदा शिक्षा व्यवस्था का अध्ययन कराया जाएगा। फिलहाल, शिक्षा विभाग के अधिकारी तमिलनाडु, कर्नाटक, राजस्थान, दिल्ली में पहले से लागू कानून का अध्ययन करेंगे, जिसके लिए टीमें बना दी गई हैं। नया कानून अस्तित्व में आता है तो स्कूलों की फीस तय करने का अधिकार भी राज्य सरकार के पास ही होगा। अभी तो जो मर्जी वह फीस ली जा रही है। सरकार ने एक कमेटी का भी गठन कर दिया है, जो हर पहलू का अध्ययन कर रही है। इस पहल का स्वागत किया जाना चाहिए, पर सरकार को दृढ़ इच्छाशक्ति दिखानी होगी। इसके व्यापक तंत्र को भेदना होगा, क्योंकि इसकी आड़ में एक बहुत बड़ा बाजार खड़ा हो गया है। उसका दबाव भी कहीं-न-कहीं से होगा, पर बच्चों का भविष्य सर्वोपरि है। यह उम्मीद की जानी चाहिए कि सरकार ने जो पहल की है, उसके सुखद परिणाम सामने आएंगे।

फ्लैश
बिहार सरकार ने प्राइवेट स्कूलों की मनमानी पर रोक के लिए कानून बनाने की दिशा में अपने कदम बढ़ा दिए हैं। अभिभावकों और छात्र-छात्राओं के हित में यह अच्छी पहल है। इसे जल्द-से-जल्द अमली जामा पहनाने की जरूरत है।

[ स्थानीय संपादकीय : बिहार ]