(हाइलाइटर-बेशक रोगी या उनके परिजनों से उचित चिकित्सा खर्च लेने का अधिकार है लेकिन रोगी का उपचार करना और गंभीर अवस्था में उसे मौत के मुंह में जाने से बचाना प्राथमिकता होनी चाहिए)

अंतत: चिकित्सा के नाम पर निजी अस्पतालों की ज्यादती रोकने से संबंधित दि वेस्ट बंगाल क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट (रेजिस्ट्रेशन, रेगुलेशन एंड ट्रांसपरेंसी) बिल-2017 विधानसभा से पारित हो गया। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विधेयक को ऐतिहासिक बताया और कहा कि जिस तरह निजी अस्पताल बेलगाम हो गए थे उन पर अंकुश लगाने के लिए समय गंवाए बिना इसे तुरंत लागू करने की जरूरत है। राज्यपाल के हस्ताक्षर करते ही सरकार कानून को प्रभावी बनाने के लिए अधिसूचना जारी कर देगी। उन्होंने कहा कि निजी अस्पताल पर नियंत्रण के लिए यह कानून देश भर में मॉडल बनेगा। हालांकि सभी को वह गलत नहीं कहेंगी। इस क्षेत्र में जो लोग अच्छा कर रहे हैं वे प्रशंसा के योग्य हैं। चिकित्सा क्षेत्र को व्यवसाय से नहीं बल्कि मानव सेवा से जोड़ कर देखा जाना चाहिए। बेशक रोगी या उनके परिजनों से उचित चिकित्सा खर्च लेने का अधिकार है लेकिन रोगी का उपचार करना और गंभीर अवस्था में उसे मौत के मुंह में जाने से बचाना प्राथमिकता होनी चाहिए। नया कानून में चिकित्सा में लापरवाही बरतने और नियम का उल्लंघन करने पर न्यूनतम 3 लाख रुपये से लेकर अधिकतम 50 लाख रुपये तक जुर्माना वसूलने तक का प्रावधान है। मुख्यमंत्री ने कहा कि निजी अस्पतालों की ज्यादती की सीमा पार हो गई थी। इसलिए इतना कड़ा कानून बनाने के लिए सरकार को बाध्य होना पड़ा।
मुख्यमंत्री ने जो तर्क दिया वह अपनी जगह सही है। कोलकाता में स्थित देश का सबसे प्रतिष्ठित निजी अस्पताल अपोलो ने कुछ ऐसी गलतियां की थी जिसे अमानवीय ही कहा जा सकता है। चिकित्सा खर्च वसूलने के लिए रोगी के परिजनों से पैन कार्ड, वोटर कार्ड और फिक्स डिपोजिट के कागजात समेत जमीन की दलील ले लेने की शिकायतें मिली थी। रोगी की मृत्यु होने के बाद पूरा खर्च लिए बिना परिजनों को शव देने की घटना तो प्राय: सभी निजी अस्पताल और नर्सिंंग होम्स में घट रही थी। निजी अस्पतालों की चिकित्सकीय लापरवाही व कानून के उल्लंघन आदि मामलों की जांच के लिए हाईकोर्ट के कार्यवाहक या पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में आयोग गठित होगा जिसमें विशेषज्ञ सदस्य रहेंगे। चिकित्सीय लापरवाही की शिकायत मिलने पर आयोग ही मामले की जांच कर कानूनी कदम उठाने का निर्देश देगा। जाहिर है कानून का शिकंजा कसने के बाद निजी अस्पतालों की चिकित्सा व्यवस्था में पारदर्शिता आएगी और आम लोगों को राहत मिलेगी।

[ स्थानीय संपादकीय : पश्चिम बंगाल ]