हिमाचल में नशीले पदार्थों की बरामदगी होना नई बात नहीं है। ऐसा भी नहीं कि यहां चरस या अन्य नशीले पदार्थ इधर से उधर पहुंचाने के दौरान लोग पकड़े न जाते हों। लगातार चरस, नशे के अन्य सामान के साथ पकड़े जाने वाले लोगों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि होना चिंताजनक है। बड़ी चिंता यह है कि लोग गलत व छोटे रास्ते में सुख की तलाश में हैं व इन रास्तों से जरूरतें पूरी करना चाहते हैं। कांगड़ा जिले में नशा माफिया के खिलाफ चलाया जा रहा पुलिस का अभियान सराहनीय है, जिसमें करीब एक माह से बड़ी संख्या में लोगों को नशे की खेप के साथ पकड़ा जा चुका है। इससे साबित होता है कि नशा माफिया समाज में कितनी गहरी जड़ें जमा चुका है। पुलिस का अभियान सराहनीय है व जरूरत है कि लोग भी इसमें सहभागी बनें। कोई भी संदिग्ध गतिविधि दिखने पबर संकोच न करें व पुलिस को तुरंत सूचना दें। अभियान से जहां नशा माफिया खौफ में है वहीं लोगों ने भी राहत की सांस ली है। यह कहना गलत नहीं होगा कि हिमाचल में बड़ी संख्या में लोग नशे के कारोबार में जुड़े हैं। इनमें से कई दूसरों तक नशीले पदार्थ पहुंचाने में लगे हैं तो कई अपनी जरूरतें पूरी करने में जुटे हैं। जरूरत है कि प्रदेश के सभी जिलों में नशे के खिलाफ अभियान चले और इस धंधे में लिप्त छोटी से बड़ी मछलियों को सलाखों के पीछे पहुंचाया जाए। प्रदेश में नशा तस्करी पर प्रदेश उच्च न्यायालय ने भी पुलिस को निर्देश दिए हैं कि तस्करी के मुख्य स्रोत का पता करें ताकि बड़ी मछलियों पर कानूनी शिकंजा कसा जा सके। सिर्फ कूरियर पर कार्रवाई से बात नहीं बनने वाली। नशा माफिया पर शिकंजा कसेगा तो भावी पीढ़ी पथभ्रष्ट होने से भी बचेगी। थोड़े से पैसे के लिए दूसरों की जिंदगी से खिलवाड़ करने वालों को सजा दिलाने का जितना दायित्व पुलिस का है, उतना ही आम लोगों का। अभी स्थिति यह है कि बड़ी संख्या में युवा में युवा नशे के मकडज़ाल में उलझे हैं। इसके लिए सिर्फ युवाओं को ही जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता बल्कि उनके परिजन व शिक्षक भी उतने ही जिम्मेदार हैं। अगर बच्चे को शुरू से ही ऐसे संस्कार दिए जाएं कि वह बुराई से दूर रहे तो जीवन में कभी वह गलत राह पर नहीं चलेगा। हिमाचल में संसाधनों की कमी नहीं है, जरूरत है उनके दोहन की। नशे में लिप्त लोगों को कानून के दायरे में सजा मिलनी ही चाहिए। साथ ही उन्हें सुधरने का मौका देकर समाज की मुख्यधारा में जोडऩे की भी पहल करनी होगी। उनके कौशल का विकास करके उन्हें स्वरोजगार के लिए प्रेरित करना बेहतर कदम हो सकता है।

[ स्थानीय संपादकीय : हिमाचल प्रदेश ]