नोटबंदी के विरोध में विपक्षी दलों को एकजुट करने के लिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एक बार फिर दिल्ली का रुख किया है। लेकिन माकपा इस मुद्दे पर ममता के साथ कोई भी साझा अभियान नहीं करेगी। पुराने बड़े नोटों के बैंक में जमा करने की समय सीमा 30 दिसंबर को खत्म हो रही है। उसके बाद विपक्षी दलों के आंदोलन की रणनीति क्या होगी उसपर मंगलवार को कांग्रेस द्वारा दिल्ली में बुलाई गई बैठक में तय होगी। बैठक में शिरकत करने के लिए ममता दिल्ली में डटी हैं। नोटबंदी पर सबसे अधिक मुखर ममता ही हैं। वह अन्य विपक्षी दलों को लेकर इस मुद्दे पर राष्ट्रव्यापी आंदोलन करना चाहती हैं लेकिन उनके लिए यह इतना आसान भी नहीं है। पश्चिम बंगाल से ममता बनर्जी के नेतृत्व में नोटबंदी के विरुद्ध जोरदार आंदोलन शुरू हुआ है तो यहीं से ममता का विरोध भी शुरू हुआ है। माकपा इस मुद्दे पर ममता के आंदोलन को दिखावा मानती हैं। वाममोर्चा में शामिल अन्य वामपंथी दल भी ममता के आंदोलन से सहमत नहीं हैं। माकपा ने नोटबंदी के विरुद्ध दिल्ली में हो रही विपक्षी दलों की बैठक में शामिल नहीं होने की घोषणा की है। माकपा एक तरह से बैठक का बायकाट करेगी। वैसे तो माकपा महासचिव सीताराम येचुरी का कहना है कि बैठक जल्दबाजी में बुलाई गई है। बैठक का क्या एजेंडा होगा यह भी तय नहीं है। इसलिए माकपा बैठक में शामिल नहीं होगी। येचुरी ने कांग्रेस द्वारा दिल्ली में बुलाई गई बैठक में शामिल नहीं होने की जो वजह बतायी है वह कुछ हद तक सच हो सकती है। लेकिन एक बड़ी वजह ममता बनर्जी भी हैं। पश्चिम बंगाल में अभी माकपा की हालत भले ही खस्ता है लेकिन वह ममता की जनविरोधी नीतियों का विरोध करने से पीछे हटनेवाली नहीं है। माकपा ने तो यहां तक कहा है कि ममता इसलिए नोटबंदी वापस लेने का विरोध कर रही हैं कि उनके नेताओं के पास अधिक काला धन है। हालांकि माकपा भी अपने ढंग से नोटबंदी का विरोध कर रही है लेकिन उसकी मांग और विरोध का तरीका अलग है। माकपा ने नोटबंदी वापस लेने की मांग नहीं की है। उसकी मांग स्थिति सामान्य होने तक पुराने बड़े नोटों के प्रचलन में रहने देने की है। जाहिर है नोटबंदी के विरोध की अलग-अलग मांग को लेकर भी विपक्षी दलों में मतभेद है। ममता बनर्जी एकमात्र ऐसी नेता हैं जिन्होंने नोटबंदी वापस लेने की मांग की है। अन्य विपक्षी दल नोटबंदी से आम जनता को होनेवाली परेशानी को लेकर विरोध कर रहे हैं। येचुरी ने बिहार के मुख्यमंत्री, त्रिपुरा के मुख्यमंत्री और एनसीपी के किसी नेता को बैठक में नहीं बुलाने पर भी सवाल खड़ा किया है। जाहिर है इन नेताओं को नहीं बुला कर कांग्रेस द्वारा सिर्फ ममता बनर्जी को बुलाने पर माकपा को आपत्ति है।

[ स्थानीय संपादकीय : पश्चिम बंगाल ]