हाइलाइटर
सवाल यही है कि यह अंकुश कितना लग सकेगा? यह सवाल इसलिए क्योंकि निजी स्कूल ऐसे कदम उठाने से कतराते हैैं जिनसे उनकी कमाई पर असर पड़ता हो।

फीस वसूली को लेकर निजी स्कूलों की मनमानी पर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बाद अब कुछ और कदम आगे बढ़ते नजर आ रहे हैैं जिनसे यह उम्मीद पैदा होती है कि कुछ असर इसी सत्र से नजर आएगा। निजी स्कूल अपनी मर्जी से जितनी चाहें, जब चाहें फीस नहीं बढ़ा सकते, साथ ही किताबों-कापियों व वर्दी स्कूलों के भीतर लगे काउंटरों से खरीदने के लिए किसी को विवश कर सकते हैैं। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद कुछ दिन पूर्व केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने भी इस बाबत आदेश जारी कर दिए तो इससे यह अहसास हुआ कि शीर्ष अदालत के फैसले पर अमल की दिशा में कदम आगे बढ़ रहे हैैं। सीबीएसई ने अपने संबद्ध स्कूलों को और भी कई आदेश दिए थे जैसे कि स्कूल बसों में स्पीड गवर्नर और महिला अटेंडेेंट की अनिवार्य तैनाती आदि। सीबीएसई की ही तर्ज पर अब पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड के चेयरमैन ने भी सर्व शिक्षा अभियान के जिला प्रोजेक्ट डायरेक्टरों को निर्देश दिए हैैं कि वे अपने स्तर पर सभी निजी स्कूलों से सीबीएसई के स्कूलों को दिशानिर्देश लागू करने के लिए पत्र लिखें। जिस तरह से सर्व शिक्षा अभियान की ओर से निजी स्कूलों को आगे निर्देश जारी कर दिए गए हैैं उससे यह संभावना है कि अब स्कूलों की मनमानी पर अंकुश लग सकेगा। बस सवाल यही है कि यह अंकुश कितना लग सकेगा? यह सवाल इसलिए क्योंकि निजी स्कूल ऐसे कदम उठाने से कतराते हैैं जिनसे उनकी कमाई पर असर पड़ता हो। अभिभावक इसके लिए जद्दोजहद करते आए हैैं लेकिन सच यही है कि न तो मनमानी सालाना फीस और न ही मासिक फीस में बढ़ोतरी रुक सकी है। यही नहीं, दाखिले के लिए भी लूट सी मची है। स्कूलों में खुलने वाली दुकानों या काउंटरों से ही किताबें-कापियां व वर्दी खरीदना भी अभिभावकों की मजबूरी होती है। ऐसा इसलिए होता आया है क्योंकि निजी स्कूलों पर अंकुश लगाने में किसी सरकार ने इच्छाशक्ति ही नहीं दिखाई। इसका कारण स्पष्ट है। अनेक निजी स्कूलों का स्वामित्व प्रभावशाली लोगों या नेताओं के पास है। कई स्कूलों की गवर्निंग बॉडी में शासन-सत्ता में स्थान रखने वाले लोग होते हैं। बोर्ड या किसी और संस्था की क्या मजाल कि इन पर डंडा चला सके? अच्छी बात यह है कि अदालत के दिशा निर्देशों के बाद अब बोर्डोंं ने भी अपनी जिम्मेदारी समझते हुए कदम बढ़ाए हैैं। उन्हें चाहिए कि निजी स्कूलों को दिशानिर्देश सख्ती से पालन करवाए, नहीं तो कड़ी कार्रवाई करे। इसी में शिक्षा जगत व समाज का भला है।

[ स्थानीय संपादकीय : पंजाब ]