ममता बनर्जी की सरकार ने जन वितरण प्रणाली (पीडीएस) में व्यापक सुधार की प्रक्रिया शुरू कर सबको डिजिटल राशन कार्ड देने का निर्णय किया है। खाद्य आपूर्ति विभाग ने दशकों से प्रचलन में रहे सफेद परंपरागत राशन कार्ड को 31 जनवरी के बाद रद करने की घोषणा भी कर दी थी। यानी एक फरवरी से नए डिजिटल राशन कार्ड के आधार पर आम जनता को राशन देने की योजना थी लेकिन यह सफल नहीं हो सकी। निर्धारित समय के अंदर नया डिजिटल राशन कार्ड तैयार नहीं हो सका। इस कारण नए राशन कार्ड के लिए आवेदन करने की तिथि 20 फरवरी तक बढ़ा दी गई और पुराने राशन कार्ड की मियाद भी 31 मार्च तक कर दी गई। अंतत: खाद्य आपूर्ति मंत्री ज्योतिप्रिय मल्लिक ने घोषणा की कि नए डिजिटल कार्ड की प्रक्रिया जारी रहेगी और पुराना राशन कार्ड रद नहीं होगा।
खैर राशन कार्ड पुराना इस्तेमाल में रहे या जनता को नया डिजिटल राशन कार्ड मिले यह कोई मुद्दा नहीं है। बड़ा मुद्दा यह है कि राज्य में सभी को राशन कार्ड से राशन उठाने की जो सुविधा मिली थी वह रहेगी या खत्म हो जाएगी। इस बारे में सरकार असमंजस की स्थिति में है। खाद्य आपूर्ति मंत्री ज्योतिप्रिय मल्लिक के एक बयान से भी इसका आभास मिला है। मल्लिक ने कहा है कि पुराना राशन कार्ड एक प्रमाण के तौर पर मान्य रहेगा। जिन लोगों की आय प्रति माह 10 हजार रुपये से कम है वे नया डिजिटल राशन कार्ड से दो रुपये किलो की दर से चावल लेने की सुविधा पाएंगे। जिन लोगों की आय 10 हजार रुपये से अधिक है वे 9 रुपये किलो की दर से राशन की दुकान से चावल पाएंगे। मंत्री के इस कथन से अब साफ हो गया कि जिन लोगों की आय 10 हजार रुपये से अधिक होगी वे राशन की आधी कीमत चुकाएंगे और आधी कीमत सरकार वहन करेगी। यानी अब गरीबों को ही सस्ते दर पर सरकारी राशन दुकान से राशन लेने की छूट होगी। पुराने राशन कार्ड का इस्तेमाल सिर्फ केरोसीन लेने के लिए इस्तेमाल हो सकेगा। यानी सरकार सबके लिए एक समान जन वितरण प्रणाली लागू करने को लेकर किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सकी है।
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हाईलाइटर: खैर राशन कार्ड पुराना इस्तेमाल में रहे या जनता को नया डिजिटल राशन कार्ड मिले यह कोई मुद्दा नहीं है। बड़ा मुद्दा यह है कि राज्य में सभी को राशन कार्ड से राशन उठाने की जो सुविधा मिली थी वह रहेगी या खत्म हो जाएगी।)

[ स्थानीय संपादकीय : पश्चिम बंगाल ]