राजनीति के मंच पर भले एक दूसरे का विरोध हो, लेकिन देश की भलाई और आमजन के कल्याण के मसले पर केंद्र और राज्य सरकार के सुरों का मिलना एक सुखद संयोग माना जाएगा। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र में एनडीए की सरकार बनने के बाद नदियों के अस्तित्व को बचाने का बीड़ा उठाया गया है। दुनिया की सबसे पवित्र नदी गंगा को निर्मल बनाने के लिए योजनाएं शुरू की गई हैं, अरबों रुपये खर्च किए जा रहे हैं। गंगा की निर्मलता और अविरलता के लिए केंद्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती का यह संकल्प है कि वे 2016 तक इसे स्वच्छ और मूल स्वरूप में लाने की झलक दिखने लगेगी।

उन्होंने हरिद्वार से निर्मल गंगा का नारा बुलंद किया है। गुरुवार को वे बिहार में नदियों के स्वरूप की हालत जानने को पटना आईं और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ बैठक के बाद सार्वजनिक कार्यक्रम में भाग लिया। कुछ दिनों पूर्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी दिल्ली में इस सिलसिले में बैठक की थी जिसमें नीतीश कुमार शामिल हुए थे, सीएम ने वहां गंगा की निर्मलता के प्रभावित होने के कारण गिनाए थे।

यह भी कहा था कि बिहार तक तो गंगा का पानी पहुंच ही नहीं रहा है, इसका कारण हरिद्वार और आगे नदी पर जगह-जगह बराज बनाना, उद्योगों का कचरा प्रवाहित करना और नदी में सिल्ट का जमा होना है। पीएम मोदी ने मुख्यमंत्री की बातों से इत्तेफाक जताते हुए इस मसले पर उनके ज्ञापन को भी तवज्जो दी थी। अब उमा भारती ने भी मुख्यमंत्री की चिंता को जायज माना है। नीतीश के कथन कि फरक्का बराज से बिहार में बाढ़ और सिल्टेशन की समस्या बढ़ी है, को केंद्रीय मंत्री ने स्वीकार किया और प्रबंधन नीति बनाने के साथ ही सूबे की नदियों को जोड़ने की कवायद को राष्ट्रीय परियोजना में शामिल करने और बाढ़ प्रभावित राज्यों की सशक्त समिति बनाने का आश्वासन दिया है।

बिहार में गंगा का अलग ही महत्व है, प्रमुख त्योहार गंगा मैया के पूजन से शुरू होते हैं। महापर्व छठ में तो गंगा तट पर जनसैलाब उमड़ पड़ता है, ऐसे में नदी की पवित्रता कायम रखने के लिए केंद्र के प्रयास बिहारवासियों के लिए बड़ा सुकून देने वाले हैं, लेकिन केंद्र की कोशिश तभी रंग लाएगी जब राज्य सरकार और लोग इसमें सहयोग देंगे। अभी तो गंगा में प्रदूषण फैलाने के मामले में बिहार की स्थिति खराब ही है, यह भावना नहीं पनप रही कि नदी का अस्तित्व बचाने के लिए लोगों को आगे आना चाहिए। गंगा में शवों को फेंकने के साथ सीवेज और अस्पतालों का कचरा बहाया जा रहा है। आंकड़ों में देखें तो राज्य में गंदे नालों के जरिए 362 एमएलडी प्रदूषित जल गंगा में जा रहा है, दो दर्जन उद्योग भी इसे प्रदूषित कर रहे हैं।

कुछ डिस्टिलरी और टेनरी भी गंगा के लिए सिरदर्द हैं। उमा भारती का यह कहना कि इंग्लैंड ने 40 साल में टेम्स नदी को स्वच्छ किया और जर्मनी ने राइन नदी को 27 साल में निर्मल बनाया, वास्तव में गंगा की सफाई के प्रति लोगों में जोश जगाने की जरूरत है। केंद्र ने दस साल में गंगा को निर्मल व स्वच्छ बनाने का बीड़ा उठाया है। हमें भी यह संकल्प लेना चाहिए कि इसपर राजनीति से हटकर सोचें और कम से कम आंखों से मां के आंचल को मैला होते देख प्रतिक्रिया जरूर दें।

(स्थानीय संपादकीय बिहार)