--------
बडगाम की 38 मतदान केंद्रों पर भी दिखा नौ अप्रैल को मतदान के दौरान हुई हिंसा का असर, अलगाववादियों की हमेशा कोशिश रही है कि लोग मतदान न करें
-------
श्रीनगर संसदीय सीट के अंतर्गत जिला बडगाम की 38 मतदान केंद्रों पर करीब दो फीसदी मतदान होने से जाहिर हो गया कि नौ अप्रैल को मतदान के दौरान हुई हिंसा का असर मतदाताओं पर दिखा। जिससे लोगों में भी इस बात को लेकर खौफ व्याप्त था कि कहीं फिर से हिंसा न फैले। अलगाववादियों ने पहले ही चुनाव के बहिष्कार का एलान किया है, जिसका असर साफ देखने को मिला। इससे पहले नौ अप्रैल को इस संसदीय सीट पर ङ्क्षहसा के दौरान आठ लोगों की मौत हो गई थी, जबकि सत्तर के करीब घायल हुए थे। चुनाव आयोग ने हिंसा को देखते हुए अनंतनाग संसदीय सीट पर होने वाले चुनाव को एक दिन पहले टाल दिया। लेकिन बडगाम संसदीय सीट के अंतर्गत 38 मतदान केंद्रों पर फिर से चुनाव करवाने का चुनाव आयोग का निर्णय उचित नहीं था। अगर पुनर्मतदान को कुछ समय के लिए टाल दिया जाता तो लोगों की चुनाव में भागीदारी बेहतर हो सकती थी। चुनाव आयोग भी केंद्र सरकार द्वारा इलाके की सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा के बाद ही चुनाव का फैसला लेता है। अलगाववादियों की हमेशा से ही कोशिश रही है कि इन संसदीय सीटों पर चुनाव न हो। जिससे की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह संदेश जाए कि घाटी में लोगों का सरकार पर विश्वास नहीं रहा है। इस सीट पर कुल दस फीसद भी मतदान नहीं हुआ है। इससे अलगाववादियों को भी यह दुष्प्रचार का मौका मिल गया कि लोगों ने भी चुनाव का बहिष्कार किया। ऐसा नहीं है, लोगों का चुनाव में विश्वास अभी भी है। लेकिन चुनावों से पहले ही अलगाववादियों ने ऐसा माहौल बनाना शुरू कर दिया था कि लोगों में डर की भावना बनी रहे। यह सबकुछ सुनियोजित ढंग से किया जा रहा है। जून माह में अमरनाथ यात्रा शुरू होने जा रही है। अलगाववादियों ने शुरू से ही घाटी में ऐसा वातावरण बना दिया है कि इसका असर श्रद्धालुओं पर पड़ेगा। मई माह में गर्मियों की छुट्टियों में पर्यटन सीजन शुरू हो जाएगा, अगर घाटी में हालात नहीं सुधरे तो इसका खामियाजा नि:संदेह पर्यटन उद्योग से जुड़े लोगों पर पड़ेगा। राज्य में अब चुनी हुई सरकार बनी है, लेकिन कुछ राष्ट्रविरोधी तत्व सरकार को काम नहीं करने देना चाहते। वे युवाओं को गुमराह कर अपनी राजनीतिक रोटियां सेंक रहे हैं। कुछ पार्टियों की यह भी कोशिश है कि जितना कम मतदान होगा, उसका लाभ उन्हें ही मिलेगा।

[  स्थानीय संपादकीय : जम्मू-कश्मीर ]