हिमाचल प्रदेश की पहचान यहां के शांतिप्रिय माहौल व भोले-भाले लोगों से है। अजनबी लोगों पर विश्वास करने में भी हिमाचली अन्य राज्यों के लोगों के मुकाबले कहीं आगे हैं। इसकी कई बार कीमत भी चुकानी पड़ती है व जाने-अनजाने लोगों को ठगी का शिकार होना पड़ता है। कभी टावर लगाने के नाम पर लोग ठगे जाते हैं तो कभी एटीएम कार्ड बदलकर। एटीएम का पिन पूछकर ठगे लोगों की तादाद भी कम नहीं है। कई चिटफंड कंपनियां प्रदेश के लोगों को मूर्ख बनाकर करोड़ों रुपये हड़प कर चुकी हैं। ज्यादा कमाई के चक्कर में लोग भला-बुरा कम सोचते हैं और झांसे में आ जाते हैं। चिटफंड कंपनियों में निवेश कई बार लोगों को कहीं का नहीं छोड़ता और पैसा डूबने के बाद पछताने के सिवा उनके पास कोई चारा भी नहीं बचता। लोगों के भोले होने का एजेंट लाभ उठाते हैं। बड़ी संख्या में लोग ऐसे एजेंटों की बातों का विश्वास कर लेते हैं और जमा पूंजी उनके हवाले कर देते हैं। शिमला में राष्ट्रीय लघु बचत सलाहकार बोर्ड की बैठक में मुख्यमंत्री का यह सुझाव देना कि लोग चिटफंड कंपनियों में निवेश करने से बचें, अपने आप में संदेश देने के लिए काफी है। लोग बड़ी राशि चिट फंड कंपनियों अथवा अन्य गैर बैंकिंग संस्थाओं में जमा करते हैं, जहां उनका पैसा डूबने की आशंका रहती है। इसलिए डाकघरों या सरकारी संस्थानों में लोगों को निवेश करना चाहिए। इसका एक पहलू यह भी है कि यही पैसा विकास कार्यो के लिए सरकार के हाथ में आता है। इसी से सड़कें बनती हैं, पुल बनते हैं, शिक्षा के लिए स्कूल-कॉलेज संस्थान खुलते हैं, इसी से जनता के लिए योजनाओं का कार्यान्वयन होता है। ऐसे निवेश से कोई लाभ नहीं, जिससे हाथ में कुछ न आए और जो हाथ में है, वह भी चला जाए। एक-दूसरे की देखादेखी काम करने की आदत से लोगों को बचना होगा। विश्वास करना गलत नहीं है, लेकिन किसी पर अंधा विश्वास आत्मघाती भी हो सकता है, यह समझना होगा। लोगों को निवेश के मामले में अधिक सतर्क होने की जरूरत है। निवेश से पहले हर बिंदु की गहनता से जांच करनी चाहिए और जहां निवेश कर रहे हैं, उसकी विश्वसनीयता की भी पड़ताल करनी चाहिए। बाद में पछताने से अच्छा है कि हर पहलू की जांच पहले ही अच्छी तरह से कर ली जाए ताकि आपके खून-पसीने की कमाई को दूसरे न हड़प लें।

[ स्थानीय संपादकीय : हिमाचल प्रदेश ]