पिछले दिनों एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि झारखंड देश का पहला कैशलेस राज्य होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र की महत्वाकांक्षी योजना को राज्य में मूर्त रूप देने के लिए राज्य के मुखिया का दिखाया उत्साह सराहनीय है। लेकिन इस चुनौती को पूरा करने की राह में कई रोड़े हैं। नेटवर्क की समस्या, अशिक्षा, दुरूह भौगोलिक क्षेत्र इस अवधारणा को पूरा करने में बड़ी बाधा हैं। एक समस्या यह भी कि बीपीएल की बड़ी आबादी वाले इस राज्य में कई लोगों के बैंक अकाउंट ही नहीं। और तो और अगर जनता ऑनलाइन ट्रांजेक्शन, कार्ड स्वैपिंग या एप से भुगतान का मन बनाती भी है तो उसे ठगे जाने का भय सताता है। समाचार पत्रों में रोज साइबर क्राइम से जुड़ी खबरें सुर्खियां बन रही हैं। ऐसे में जनता के मन से यह डर निकालना कि वह ठगी नहीं जाएगी। ठगी हुई भी तो सरकार व बैंक इसका हर्जाना भरेंगे, ऐसा प्रयास करना होगा। बहरहाल, सरकार ने इस दिशा में कई कदम उठाए भी हैं। कैशलेस ट्रांजेक्शन के प्रशिक्षण में झारखंड देश में पहले स्थान पर रहा है। उत्कृष्ट बाइस जिलों में झारखंड का भी एक जिला साहिबगंज शामिल है। यहां 4.5 लाख की आबादी तथा 33 हजार व्यापारियों को भीम एप से जोड़ा गया है। प्रधानमंत्री पहले ही बोकारो और जमशेदपुर के डीसी को इसके लिए सम्मानित कर चुके हैं। प्रधानमंत्री साहिबगंज में 50 हजार सखी मंडल को स्मार्ट फोन देने की योजना शुरू कर चुके हैं। 95 हजार अन्य सखी मंडल को भी स्मार्ट फोन दिया जाएगा। राज्य सरकार ने प्रति पंचायत 640 लोगों का प्रशिक्षण दिया जो सोलह गुणा अधिक है। 44 हजार व्यापारियों के प्रशिक्षण का लक्ष्य दिया गया था, जबकि 1.19 लाख को प्रशिक्षण दिया गया। दोनों में झारखंड अव्वल रहा। यानी राज्य सरकार ने चुनौती भरी राह पर कदम बढ़ा तो दिए हैं लेकिन उसे अभी मीलों चलना है। नक्सल इलाकों और सुदूर गांवों में नेटवर्किंग को मजबूत करने, गांवों में लोगों को इस दिशा की ओर प्रशिक्षित करने से बात बनेगी। सबसे बड़ी समस्या गांवों में दिहाड़ी मजदूरों को इस व्यवस्था से जोडऩे की है। बैंक प्राय: शहरों तक ही अपने संजाल मजबूत करने पर जोर देते हैं, गांवों में शाखाएं खोलने पर जोर कम से कम है। जाहिर है इसका खामियाजा उन लोगों को उठाना पड़ता है जो सुदूर इलाकों में रहते हैं। यह बड़ी चुनौती है कि सरकार कैसे इन्हें कैशलेस अभियान से जोड़े। शहरों में भी दुकानों में निगरानी बढ़ानी होगी, बैंक से ट्रांजेक्शन होने से टैक्स देने के डर से व्यापारी इस प्रक्रिया से बचना चाहते हैं। जाहिर है कैशलेस की डगर कठिन है लेकिन राज्य सरकार की इच्छाशक्ति से यह तय जरूर है कि झारखंड लेसकैश की ओर तेजी से बढ़ रहा है।
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बर्ल्ब
सुदूर गांवों प नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में नेटवर्किंग को मजबूत करने, गांवों में लोगों को इस दिशा की ओर प्रशिक्षित करने से बात बनेगी।

[ स्थानीय संपादकीय : झारखंड ]