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राज्य में परियोजनाएं तो शुरू की जाती हैं लेकिन फंड की कमी के कारण अधर में ही छोड़ दी जाती हैं। इससे लागत साल दर साल बढ़ती जाती है
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राज्य के नवनियुक्त मुख्य सचिव की वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों को यह नसीहत कि विकास परियोजनाएं समय पर पूरी हों सही है। इससे उन अधिकारियों की जवाबदेही तय होगी जिनके अधीन राज्य में कई विकास योजनाएं चल रही हैं। देखा गया है कि राज्य में परियोजनाएं तो शुरू की जाती हैं, लेकिन फंड की कमी के कारण उन्हें अधर में ही छोड़ दिया जाता है। इससे कई बार परियोजनाओं की लागत साल दर साल बढ़ती जाती है। तवी नदी पर कृत्रिम झील, मुबारक मंडी बाग-ए-बाहू रोपवे प्रोजेक्ट को मंजूरी मिले पांच साल से अधिक का समय हो चुका है लेकिन ये परियोजनाएं अभी तक पूरी नहीं हो पाई हैं। विडंबना यह है कि कृत्रिम झील के लिए बनाए गए बांध हर साल बरसात में बाढ़ के कारण बह जाते हैं। अब तक करोड़ों रुपये पानी में बह गए हैं लेकिन यह परियोजना अब भी जस की तस है। हालांकि, पूर्व मुख्यमंत्री मुफ्ती मुहम्मद सईद ने इसके डिजाइन पर भी आपत्ति जताई थी लेकिन तब तक इस पर काम शुरू हो चुका था। जाहिर है कि इसे गैर योजनाबद्ध तरीके से बनाया गया, जिस कारण परियोजना आज सफेद हाथी बनकर रह गई है। कुल मिलाकर देखा जाए तो मुबारक मंडी बाग-ए-बाहू रोपवे जो तवी नदी से ऊपर से गुजरना था, पर काम अभी दिख नहीं रहा है। शहर के मुख्य बस स्टैंड में मल्टीटियर पार्किंग का निर्माण कार्य भी जिस गति से चल रहा है, उससे लगता है कि इसके बनने में अभी वर्षों लगेंगे। इन परियोजनाओं की लागत भी कई गुना बढ़ गई है। इससे सरकार पर ही अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ेगा। जम्मू में अधर में लटकी कई परियोजनाएं अगर समय पर पूरी हो जाएं तो इससे पर्यटन उद्योग को बढ़ावा मिलना था। इतना ही नहीं इससे राजस्व वसूली के संसाधन भी बढ़ते। मुख्य सचिव ने पदभार संभालने के बाद अधिकारियों से बैठक में यह स्पष्ट कर दिया कि वे तमाम परियोजनाओं को समय पर पूरा करें। उन्होंने यह भी कहा कि निष्ठा से काम करें, ताकि लोगों की समस्याओं का समाधान हो। कश्मीर में भी कई ऐसी परियोजनाएं हैं जिन पर दो साल से काम नहीं हो पाया है। इसका मुख्य कारण घाटी में बढ़ता आतंकवाद भी है। विश्व प्रसिद्ध झेलम दरिया से गाद निकालने का काम भी चुनौतीपूर्ण है क्योंकि गत माह बारिश होने से इसका जलस्तर बढ़ गया था और घाटी में बाढ़ की स्थिति पैदा हो गई थी। सरकार को चाहिए कि इन परियोजनाओं पर शीघ्र काम हो ताकि लोगों के जानमाल को कोई नुकसान न हो।

[ स्थानीय संपादकीय : जम्मू-कश्मीर ]