लोकनायक जयप्रकाश नारायण अस्पताल (एलएनजेपी) अस्पताल में डॉक्टर और नर्सों को आत्मरक्षा का प्रशिक्षण दिलाना प्रबंधन की सराहनीय पहल है। दस दिन के विशेष प्रशिक्षण शिविर में दिल्ली पुलिस की दो महिला निरीक्षक अस्पताल की 70 नर्सों और महिला डॉक्टरों को आत्मरक्षा के गुर सिखा रही हैं। ऐसा हो भी पहली बार रहा है कि किसी अस्पताल में ऐसे किसी प्रशिक्षण की कक्षाएं लग रही हों। इसमें शक नहीं कि अस्पतालों में नर्सो और महिला डॉक्टरों को देर रात और बहुत बार रात-रात भर ड्यूटी देनी पड़ती है। इस दौरान उन्हें हमेशा ही किसी अप्रिय घटना का भय लगा ही रहता है। बहुत बार ऐसी घटनाएं घट भी चुकी हैं। कई बार तो तीमारदार भी इनसे उलझ जाते हैैं। ऐसे में इस तरह की पहल अस्पताल के महिला स्टाफ के लिए निस्संदेह फायदेमंद साबित होगी।
इसमें शक नहीं कि देश की राजधानी होने के बावजूद दिल्ली महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं रह गई है। न यहां मासूम बच्चियां सुरक्षित हैं और न ही बुजुर्ग महिलाएं। आए दिन कहीं न कहीं इनके साथ अप्रिय घटना घटती ही रहती हैं। पुलिस भी इन घटनाओं पर रोक लगा पाने में कामयाब नहीं हो पा रही है। एक बड़ी समस्या यह भी सामने आ रही है कि जब इस तरह की घटनाएं होती हैं, खासकर सार्वजनिक स्थानों पर, तो कोई नहीं बोलता है। सभी मूकदर्शक और तमाशबीन बने खड़े रहते हैं। इससे बदमाशों का हौसला बढ़ता है। हम यह भूल जाते हैं कि बेटियां सभी के घरों में होती हैं। अगर हम किसी की बेटी की परेशानी में काम नहीं आएंगे और हमारी बेटी भी कल को किसी परेशानी में स्वयं को अकेला ही पाएगी। बहरहाल, मौजूदा परिस्थितियों में बेहतर विकल्प तो यही है कि महिलाएं स्वयं ही सबला बनें। आत्मरक्षा प्रशिक्षण से उनमें आत्मबल बढ़ेगा। वह अकेले डरेंगी भी नहीं। उनका आत्मबल ही उनका हथियार बनेगा और विपरीत हालातों में मुकाबला करने की ताकत देगा। इसलिए एलएनजेपी अस्पताल की तर्ज पर हर अस्पताल और संस्थान को इस तरह के प्रशिक्षण शिविर आयोजित करने चाहिए। अपने स्टाफ की रक्षा करना और उन्हें सबल बनाना हर नियोक्ता का कर्तव्य है। ऐसा करना समाज हित में भी आवश्यक है।

[ स्थानीय संपादकीय : दिल्ली ]