नशा रोकने के लिए विशेष जांच दल गठित करने, शराब ठेके कम करने जैसे फैसले दर्शाते हैं कि सरकार चुनाव में किए गए वादों को पूरा करने के लिए प्रति गंभीर है।

कैप्टन अमङ्क्षरदर सिंह के नेतृत्व वाली सरकार की पहली कैबिनेट में जो फैसले लिए गए वे निस्संदेह सराहनीय और उम्मीद जगाने वाले हैं। इन फैसलों से फिलहाल यह दिख रहा है कि पंजाब की नई सरकार अपने वादों को पूरा करने के प्रति गंभीर है। पहली ही बैठक में ऐसे कई फैसले लिए गए जो उल्लेखनीय कहे जा सकते हैं, जैसे कि वीआइपी व लाल बत्ती कल्चर खत्म करना, किसी नींव पत्थर अथवा उद्घाटन पट्टिका पर मुख्यमंत्री अथवा मंत्रियों के नाम न लिखने का फैसला सीधे-सीधे प्रदेश के खजाने और आम जनता की कमाई व सुविधा से जुड़ा है। ऐसे कल्चर के कारण जहां खजाने पर अनावश्यक भार पड़ता है, वहीं आम जनता को भी नाहक परेशानी उठानी पड़ती है। इसी तरह इंस्पेक्टरी राज और हलका प्रभारी की प्रथा समाप्त करने का फैसला भी जनता को राहत देने वाला है। इससे कानून व्यवस्था में सुधार की उम्मीद भी की जा सकती है। इसके अतिरिक्त घोषणा के अनुरूप ही नशे को लेकर भी कैबिनेट में महत्वपूर्ण फैसले लिए गए। नशा रोकने के लिए विशेष जांच दल गठित करने, शराब ठेके और इसका कोटा कम करने जैसे फैसले साफ दर्शाते हैं कि सरकार चुनाव में किए गए अपने वादों को पूरा करने के प्रति गंभीर है। नशा प्रदेश के लिए कितनी बड़ी समस्या है इसका अंदाजा सभी को है, कदाचित इसीलिए लगभग सभी दलों ने इसे चुनाव में मुख्य मुद्दा बनाया था और कांग्रेस ने यह वादा किया था कि यदि उसकी सरकार बनती है तो वह एक माह में नशा समाप्त कर देगी। सरकार ने प्रयास तो शुरू कर दिए हैं अब देखना होगा कि इसके परिणाम धरातल पर कितना और किस तेजी के साथ दिखाई देते हैं। सरकार ने एक अन्य महत्वपूर्ण फैसला महिलाओं के पक्ष में लिया है। इसके अनुसार प्रदेश में महिलाओं को नौकरी में 33 फीसद आरक्षण दिया जाएगा। यह फैसला निस्संदेह प्रदेश में महिला सशक्तीकरण की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकता है। इसके अतिरिक्त भी कैबिनेट ने कई जनहितैषी फैसले लिए हैं जो प्रदेश के लिए निस्संदेह दूरगामी साबित होंगे। अब देखना यह है कि सरकार इन फैसलों को धरातल पर कितनी तेजी के साथ उतारने में सफल होती है। सरकार को चाहिए कि वह इन्हें लागू करवाने के लिए उचित निगरानी की व्यवस्था भी करे ताकि प्रदेश व जनता को वास्तव में इन फैसलों का लाभ शीघ्र मिल सके।

[ स्थानीय संपादकीय : पंजाब ]