राज्यभर में लड़कियों के लिए 68 गल्र्स हॉस्टल खोले जाने का सरकार का फैसला सराहनीय है। इससे दूरदराज में रहने वाली लड़कियों को अब शहरों में पढ़ाई के लिए दरबदर नहीं होना पड़ेगा। अब वे आसानी से गल्र्स हॉस्टल में रह सकेंगी, जिससे उनके परिजन भी उनकी सुरक्षा को लेकर निश्चिंत महसूस करेंगे। विधानसभा में शिक्षा की ग्रांट पेश करते हुए शिक्षा मंत्री ने घोषणा कर पढऩे वाली बच्चियों को एक बड़ी राहत पहुंचाई। राज्य के दूरदराज क्षेत्रों में लड़कियां बारहवीं की शिक्षा के बाद पढ़ाई छोड़ देती हैं, क्योंकि उनके घरों से डिग्री कॉलेज दूर होते हैं। यहां ठहरने के लिए कोई इंतजाम नहीं होते। इससे लड़कियों का उच्च शिक्षा की ओर रुझान बढ़ेगा, जिससे राज्य में साक्षरता दर में भी बढ़ोतरी होगी। इतना ही नहीं मंत्री ने सदन को यह भी आश्वासन दिया कि एक हजार स्कूलों को नॉलेज नेटवर्क से जोड़ेंगे। इससे दूरस्थ शिक्षा को बढ़ावा मिलेगा और विद्यार्थी बाहरी स्कूलों और कॉलेजों में पढ़ाए जाने वाले विषयों का घर बैठे ही अध्ययन कर सकेंगे। अक्सर देखा गया है कि उच्च शिक्षा और आइआइटी मेन्स की परीक्षाओं की तैयारी के लिए विद्यार्थी बाहरी राज्यों में जाते हैं, परंतु अब वे स्कूलों में ही कोचिंग ले सकेंगे। शिक्षा मंत्री ने प्राइमरी स्कूल खोलने के लिए कोई भी इजाजत न लेने की घोषणा कर बुनियादी शिक्षा के ढांचे को मजबूत करने की दिशा में एक ओर कदम बढ़ाया। इस फैसले से शिक्षा का विस्तार होगा और पढ़े-लिखे युवा स्कूल खोलकर अपना रोजगार भी चला सकते हैं। राज्य में नए डिग्री कॉलेज खोलने पर भी सरकार ने फिलहाल रोक लगाकर एक अच्छा कदम उठाया है। राज्य में पहले से ही सरकारी और निजी डिग्री कॉलेजों की संख्या हजारों में है। सरकार को चाहिए कि सर्वप्रथम शिक्षा की गुणवता की ओर ध्यान दिया जाए, क्योंकि कॉलेजों से निकलने वाले बच्चों को पढ़ाई के लिए प्रतिस्पर्धा के युग में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इसमें कोई दोराय नहीं कि इस बार दसवीं और बारहवीं के परिणाम पिछले कुछ वर्षों के मुकाबले बेहतर रहे। अभी भी इस दिशा में बहुत कुछ किया जाना बाकी है। इसके लिए शिक्षकों के तबादला नीति पर भी पारदर्शिता बरतने की जरूरत है। अक्सर देखा गया है कि दूरदराज क्षेत्रों में शिक्षक जाने को तैयार नहीं होते और वे अपनी अटैचमेंट शिक्षा विभाग में करवा लेते हैं। कई बार कॉलेजों और स्कूलों में विषय होते हुए भी शिक्षक नहीं होते, जिससे छात्रों का भविष्य दांव पर लग जाता है।

[ स्थानीय संपादकीय : जम्मू-कश्मीर ]