बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले, राज्य में शिक्षा का स्तर ऊपर उठे और साक्षरता दर में वृद्धि हो इसके लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है। सरकार का फोकस बच्चों को मिड डे मील में पौष्टिक भोजन, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और पंचायतों को जीरो ड्राप आउट बनाने पर है। इसके तहत शिक्षकों को प्रोत्साहन देने के लिए मुख्यमंत्री ने सभी सरकारी शिक्षकों को टैब देने की घोषणा की है। सरकार का उद्देश्य यही है कि सरकारी स्कूलों में भी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले और यहां के बच्चे भी निजी स्कूलों के बच्चों की तरह अच्छा परिणाम दे सकें। सरकार का यह कदम भी सराहनीय है कि नौवीं-दसवीं कक्षा में पढऩे वाले गरीब विद्यार्थियों के लिए मेडिकल व इंजीनियङ्क्षरग की निश्शुल्क कोचिंग की व्यवस्था की जा रही है। समय आ गया है कि शिक्षकों को भी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने में अपनी भूमिका बढ़ानी होगी। स्कूलों में उन्हें अपनी उपस्थिति भी सुनिश्चित करनी होगी। बच्चों की नींव मजबूत होगी तभी वे इस प्रतियोगी युग में अपने पैरों पर खड़े हो सकेंगे। अभी खासकर, ग्रामीण इलाकों से लगातार ऐसी शिकायतें लगातार मिलती आ रही हैं कि अधिकतर शिक्षक स्कूलों से गायब रहते हैं। घर बैठे वेतन उठा रहे हैं। ऐसे शिक्षकों के खिलाफ विभाग को कड़ी कार्रवाई करनी होगी। उन अफसरों के खिलाफ भी कार्रवाई करनी होगी जिनके लापरवाह रवैये के कारण ऐसे शिक्षक लाभान्वित हो रहे हैं। इसकी पर्याप्त मॉनीटङ्क्षरग करनी होगी। हालांकि ई-विद्यावाहिनी सॉफ्टवेयर के माध्यम से बच्चों तथा शिक्षकों की उपस्थिति, मिड डे मील सहित अन्य योजनाओं की ऑनलाइन मॉनीटङ्क्षरग की व्यवस्था भी सरकार की ओर से की गई है। इसका सख्ती से पालन कराना और इसकी कड़ी निगरानी भी जरूरी है। इसके साथ ही राज्य सरकार ने प्रत्येक जिले की पांच-पांच पंचायतों को जीरो ड्राप आउट पंचायत घोषित करने का लक्ष्य रखा है। खुशी की बात यह कि पश्चिम सिंहभूम जिले के सदर प्रखंड की लुपुंगुटू पंचायत राज्य की पहली जीरो ड्रॉप आउट पंचायत बनने की ओर अग्रसर है। यहां के उपायुक्त ने मुखिया के प्रमाण पत्र के आधार पर शिक्षा विभाग को जीरो ड्राप आउट पंचायत घोषित करने की अनुशंसा कर दी है। सरकार का यह प्रयास यदि रंग लाया तो वो दिन दूर नहीं जब राज्य की अधिकतर पंचायतें जीरो ड्राप आउट बनेंगी। ऐसा होने से केरल की तरह झारखंड भी शिक्षा में सिरमौर बन जाएगा।

[ स्थानीय संपादकीय : झारखंड ]