राई खेल अकादमी का विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। फिलहाल सरकार के दो प्रमुख मंत्री आपस में इस मसले पर खींचतान में जुटे हैं। खेल अकादमी में ऑडिट के नाम पर वित्त मंत्रलय व खेल मंत्रालय में शुरू हुई अधिकार की जंग अब अहम की जंग बन चुकी है। दोनों ही दिग्गज मंत्रियों ने इसे नाक का सवाल बना लिया है। गड़बड़ियों की शिकायत पर वित्त मंत्रालय की ऑडिट टीम ने राई अकादमी की जांच की थी। आरोप है कि टीम ने इसमें कई गड़बड़ियां पकड़ी थीं। इस मामले के रिपोर्ट मीडिया में लीक होते ही दोनों मंत्री आमने-सामने आ गए। निश्चित तौर पर मंत्रियों की आपसी खींचतान ने विपक्षी दलों को हमलावर होने का मौका दे दिया है। विपक्ष के विधायक इसके बहाने सरकार पर निशाना साध रहे हैं। सरकार बनने के बाद यह पहला मौका नहीं है कि भाजपा के बड़े नेता आमने-सामने हुए हों।

यह सीधा सरकार की साख को आघात पहुंचा रहा है। मंत्रियों की लड़ाई से विपक्ष यह संदेश देने में कामयाब हो रहा है कि सब कुछ ठीक नहीं है और इसीलिए जांच रिपोर्ट को छिपाना पड़ रहा है। उसके बाद ही तेजतर्रार आइपीएस अधिकारी भारती अरोड़ा को उसका जिम्मा सौंपा गया था। अगर सब कुछ पूर्व की सरकारों के दौरान हुआ था तो अब सच सामने आना चाहिए। साथ ही इस मामले में तुरंत स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए ताकि मसले पर छाई विवाद की धुंध छंट सके। एक बड़ी चिंता का विषय है कि विभिन्न मसलों पर जांच रिपोर्ट फाइनल में होने से पहले ही बाहर आ जाती हैं।

पूर्व में सरकार द्वारा विभिन्न संवेदनशील मसलों पर गठित कमेटियों की रिपोर्ट भी मीडिया में लीक हो गईं। इसके बाद उस पर तरह-तरह के कयासों का दौर शुरू हो गया। एक-दूसरे के नंबर काटने के चक्कर में मंत्रियों में चल रही यह स्पर्धा सरकार के लिए घातक हो सकती है। सरकार का आधा समय बीतने के बाद 2019 की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है। ऐसे में अगले चुनाव की तैयारी में जुटने के साथ जनता से किए वादे पूरे करने में ही नेता अपनी ऊर्जा खपाएं तो बेहतर हो।

[स्थानीय संपादकीय : हरियाणा]