चारधाम यात्रा शुरू होने से पहले ही समस्याओं का अंबार नजर आ रहा है। संबंधित महकमों को इस दिशा में गंभीरता से काम करना होगा। तब ही हम देश-विदेश में सुरक्षित उत्तराखंड का संदेश दे पाएंगे।
-----------
प्रदेश में चार धाम यात्रा शुरू होने को लगभग दो माह का समय शेष है। बैठकों को दौर शुरू हो चुका है लेकिन शुरुआती दौर में यात्राओं की तैयारियों को लेकर जो तस्वीर सामने आई है, वह चिंताजनक है। चारधाम यात्रा मार्ग की सड़कों की बात हो, पेयजल, शौचालय अथवा वाहन व्यवस्था की। हालत यह है कि इन तमाम अहम मोर्चों पर तैयारियां अधूरी हैं। प्रदेश अभी वर्ष 2013 में आई आपदा के बाद से ही चार धाम यात्रा को सुगम बनते देखना चाहता है। प्रदेश सरकार ने भी चार धाम यात्रा को सुगम बनाने के लिए तमाम योजनाएं बनाई हैं। इसके लिए पर्याप्त बजट भी आवंटित किया गया है। राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पर्यटकों को सुरक्षित व सुगम चारधाम यात्रा के संदेश दिए गए। दावा किया गया कि भविष्य में चारधाम यात्रा सुचारू रूप से चलेगी। बीते वर्ष भारी संख्या में चारधाम यात्रा करने पहुंचे पर्यटकों ने इस विश्वास को पुख्ता भी किया मगर व्यवस्था फिर पटरी से उतरती नजर आ रही है। जिस तरह से बीते रोज मंडलायुक्त की ओर से चारधाम यात्रा की तैयारियों को लेकर की गई समीक्षा बैठक में समस्याओं का अंबार लगा, उसे देखकर सरकारी दावों पर सवालिया निशान उठने लगते हैं। यह बात सही है कि पर्वतीय क्षेत्रों में बरसात के दौरान सड़कें खराब होती हैं और इन्हें हर बार दुरुस्त करना पड़ता है लेकिन पेयजल, शौचालय व वाहन संचालन की व्यवस्था के लिए हर बार मंथन करना सरकारी तंत्र की कार्यशैली पर सवालिया निशान लगाता है। हर बार यात्रा मार्गों पर पेयजल व्यवस्था और स्थायी शौचालय बनाने की बातें होती हैं और हर बार यात्रा से पहले सबसे पहली समस्याओं में इन्हीं को गिनाया जाता है। चारधाम यात्रा मार्गों पर तमाम जगह डेंजर प्वाइंट हैं। इनमें से अधिकांश हर बार चिह्नित किए जाते हैं। बावजूद इसके इन स्थानों पर पुख्ता व स्थायी सुरक्षा व्यवस्था देने में संबंधित महकमें नाकाम रहते हैं। शासन को इस दिशा में गंभीरता से मंथन करने की आवश्यकता है। अभी यात्रा शुरू होने में पूरे दो माह हैं। दो माह व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए पर्याप्त समय है। बशर्ते शासन और संबंधित विभाग इस दिशा में गंभीरता से कार्य करें। तब ही पर्यटकों को सही मायने में सुरक्षित चारधाम यात्रा का संदेश देने में कामयाब हो पाएंगे।

[ स्थानीय संपादकीय : उत्तराखंड ]