पंजाब में गैंगस्टर पुलिस व सरकार के लिए लगातार चुनौती बने हुए हैं। पहले यदा-कदा गैंगस्टरों की वारदातें सामने आती थीं, लेकिन अब तो शायद कोई दिन ऐसा बीत रहा है, जब प्रदेश के किसी न किसी हिस्से से गैंगस्टर अथवा किसी गिरोह द्वारा वारदात की खबर न आती हो। ये इस कदर बेखौफ हो चुके हैं कि कभी भी कहीं भी हत्या जैसी वारदात तक को अंजाम देने से नहीं हिचक रहे। आलम यह है कि हत्या करने के बाद गैंगस्टर मारे गए व्यक्ति के शव के पास भंगड़ा तक डाल रहे हैं।

हत्या करके ये ऐसे फरार हो जा रहे हैं जैसे पुलिस व कानून व्यवस्था नाम की कोई चीज प्रदेश में हो ही नहीं। गत दिवस संगरूर के लौंगोवाल में भी यही दृश्य देखने को मिला। गैंगस्टर ने अपने साथियों के साथ मिलकर यहां के मेन बाजार में दिन में करीब 11 बजे एक फाइनेंसर को गोलियों से भून दिया और उसके शव के पास हथियार लहराते हुए भंगड़ा डाला। फिर लोगों को धमकाते हुए आराम से फरार हो गया। गैंगस्टर का दुस्साहस यहीं नहीं रुका, बल्कि उसने अपने फेसबुक अकाउंट पर भी इसे अपडेट किया और अपने दुश्मनों को चेतावनी भी दी। हैरत की बात यह है कि इतना सबकुछ होने के बावजूद पुलिस उस तक नहीं पहुंच सकी।

बात सिर्फ इसी घटना की नहीं है अपितु नाभा जेल ब्रेक कांड, मक्खू में मुठभेड़ व कई अन्य हत्याओं को गैंगस्टरों ने जिस प्रकार से अंजाम दिया, उससे तो यही प्रतीत हो रहा है पंजाब धीरे-धीरे गैंगस्टरों के लिए सुरक्षित ठिकाना बनता जा रहा है। एक आंकड़े के अनुसार प्रदेश की जेलों में करीब 225 गैंगस्टर बंद हैं, जबकि बड़ी संख्या में अभी भी खुलेआम घूम रहे हैं। गैंगस्टरों के बेखौफ होने के पीछे पुलिस की असफलता के अतिरिक्त राजनीतिक संरक्षण भी अहम कारण हो सकता है।

इससे एक तरफ जहां आम नागरिकों में दहशत का माहौल बनता जा रहा है, वहीं पुलिस की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठ रहे हैं। चूंकि कानून व्यवस्था का पालन धरातल पर सुनिश्चित कराना पुलिस का ही कार्य है, इसलिए ऐसी घटनाओं से जनता में पुलिस के प्रति सम्मान व विश्वास कम होना अपेक्षित ही है। यह स्थिति पुलिस के लिए बेहद शर्मनाक है। जिस पुलिस ने प्रदेश से आतंकवाद को उखाड़ फेंका हो उसके लिए गैंगस्टरों पर काबू पाना कतई कठिन नहीं है, आवश्यकता है तो बस सियासी दबाव से मुक्त होकर ईमानदारी से अपने काम को अंजाम देने की।

(स्थानीय संपादकीय पंजाब)