जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग के साथ लगते सैन्य शिविर में आतंकी हमले और जम्मू के सीमावर्ती रामगढ़ क्षेत्र में खोदी गई सुरंग की घटनाओं के बीच संदिग्ध लोगों का देखा जाना खतरे से खाली नहीं। जाहिर सी बात है कि इन घटनाओं से लोगों में दहशत बढ़ गई है। स्वभाविक है कि जब पीठ पर पिट्ठू लादे और सेना की वर्दी में कोई व्यक्ति दिखता है तो पहले यही शक होता है कि कहीं यह आतंकवादी तो नहीं। नगरोटा में मारे गए तीन आतंकवादी सेना की वर्दी में और कंधे पर बैग लादे हुए थे। यह इसलिए की संदिग्ध आसानी से पहचाने जा सकें। जम्मू की सैकड़ों किलोमीटर अतंरराष्ट्रीय सीमा पर बसे गावों में जब इसी हुलिए का व्यक्ति दिख जाता है तो लोगों का शक उसके आतंकवादी होने पर जाता है। सरक्षा एजेंसियां इसे पूरी तरह से झुठला भी नहीं सकती जब तक वे इलाके की तलाशी न ले लें। सीमांत रामगढ़, सांबा, हीरानगर में आतंकवादियों के देखे जाने के बाद सुरक्षा बल तलाशी अभियान चला रहे हैं। सांबा में तो सेना की कुछ वर्दियां मिलने के बाद लोगों में दहशत फैल गई। लेकिन पुलिस अधिकारी ने बाद में स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि यह किसी सेना जवान की थी जो गलती से भूल गया था। कई घटनाएं अफवाह भी हो सकती है परंतु इन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता जब तक कि जांच न हो जाए। जम्मू के कठुआ जिले से लगते पठानकोट सीमा पर शुक्रवार को बीएसएफ ने एक संदिग्ध को मार गिराया। लगातार बढ़ती घुसपैठ की घटनाओं से लोगों में दहशत बढ़ रही है। आतंकवादियों का निशाना भी सैन्य शिविर है। इसलिए आतंकी भी सैना की वर्दी में हमलों को अंजाम देते आए हैं। सैन्य शिविर के गेट पर भी तैनात संतरी भी कई बार धोखा खा जाते हैं कि कहीं वर्दीधारी व्यक्ति उनकी यूनिट का तो नहीं। रक्षामंत्री ने तो यहां तक कह दिया है कि अगर शिविर के बाहर कोई बंदूकधारी संदिग्ध दिखे तो उसे गोली मार दो। संभवतया उस व्यक्ति का इरादा नेक नहीं है जो रात को बंदूक ताने शिविर के सामने आ जाए। सुरक्षाबलों को भी चाहिए कि वे लोगों का विश्वास जीतने के लिए आवश्यक कदम उठाएं। आतंकवादी कभी भी सेना के जूते पहने नहीं होंगे। वे स्पोट्र्स शूज में आते हैं क्योंकि सीमावर्ती क्षेत्र में मिट्टी और उबड़ खाबड़ रास्ते को क्रॉस करना होता है। सेना के शूज में वे आसानी महसूस नहीं करते। हद तो यह है कि नगरोटा में मारे गए आतंकवादी बुलेट प्रूफ जैकेट, सेना का हेल्मेट संग लेकर आए थे। लोगों को भी इनके हुलिए को परखना होगा।

[ स्थानीय संपादकीय : जम्मू-कश्मीर ]