दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) की तेज रफ्तार लो-फ्लोर बस का टायर फट जाने से आजादपुर में हुए हादसे में दो लोगों की मौत एक दुखद घटना है। यह हादसा जहां एक ओर बस चालक को कठघरे में खड़ा करता है, वहीं बसों के रखरखाव में बरती जा रही लापरवाही को भी रेखांकित करता है। तेज रफ्तार डीटीसी बसों से हादसे होने के मामले राजधानी में अक्सर सामने आते रहते हैं। विगत मार्च माह में पंजाबी बाग इलाके में डीटीसी की तेज रफ्तार लो-फ्लोर बस अनियंत्रित होकर फुटपाथ पर चढ़ गई थी, हादसे में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी जबकि तीन अन्य घायल हुए थे। इससे पूर्व फरवरी माह में भी शालीमार बाग इलाके में हुए एक हादसे में एसी लो-फ्लोर बस की टक्कर लगने से एक युवक की मौत हो गई थी, जबकि एक महिला घायल हो गई थी। ये घटनाएं दर्शाती हैं कि डीटीसी बस चालक यातायात नियमों को धता बताते हुए बसें तेज चलाते हैं, जिसके चलते सड़क से गुजरने वाले निर्दोष लोगों को जान से हाथ धोना पड़ता है।
चालकों की लापरवाही के साथ ही डीटीसी बसों का रखरखाव भी एक बड़ा मुद्दा है। बुधवार को हुए हादसे में बस का टायर फट गया था, जबकि बसों में आग लगने की घटनाएं भी अक्सर सामने आती हैं, जो दर्शाती हैं कि इनका रखरखाव ठीक ढंग से नहीं हो रहा है। डीटीसी को अक्सर हो रहे हादसों के मद्देनजर चालकों के प्रशिक्षण और बसों के रखरखाव पर विशेष जोर देना चाहिए। चालकों के प्रशिक्षण के लिए समय-समय पर कार्यशालाएं लगाई जानी चाहिए। डीटीसी ने बसों की गति 40 किलोमीटर प्रतिघंटा निर्धारित की है और बसों में स्पीड गवर्नर लगाए हैं। इससे अधिक गति होने पर बस बंद हो जाएगी, लेकिन यह गंभीर चिंता का विषय है कि रखरखाव की कमी व स्पीड गवर्नर से छेड़छाड़ के कारण इनका उपयोग नहीं हो पा रहा है। बढ़ते हादसों को देखते हुए डीटीसी को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सभी बसों में स्पीड गवर्नर ठीक ढंग से काम करें। डीटीसी अधिकारियों द्वारा समय-समय पर बसों का औचक निरीक्षण भी किया जाना चाहिए ताकि यह जांच की जा सके कि कहीं स्पीड गवर्नर के साथ छेड़छाड़ तो नहीं की जा रही है। यातायात पुलिस को भी तेज रफ्तार डीटीसी बसों के खिलाफ समय-समय पर अभियान चलाकर उनके चालान करने चाहिए।

[ स्थानीय संपादकीय : दिल्ली ]