प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की स्मार्ट सिटी सूची में शामिल नई दिल्ली कैशलेस होने की दिशा में बढ़ गई है। नई दिल्ली नगर पालिका परिषद (एनडीएमसी) ने लुटियन दिल्ली में 90 से ज्यादा जगहों पर आउटडोर डिजिटल इंटरेक्टिव इनफोरमेशन पैनल लगाने का निर्णय लिया है जो उपयोगी तो है ही, सकारात्मक भी है। इसके जरिये लोग सरकार की सभी ऑनलाइन सुविधाओं का लाभ उठाने के साथ ही रेल, बस व हवाई टिकट बुक करा सकते हैं। सड़क किनारे लगे यह पैनल 24 घंटे खुले रहेंगे। इससे देश की अन्य एजेंसियों को भी सीख मिलेगी और वे भी कैशलेस बनने की दिशा की ओर बढ़ेंगी। एनडीएमसी का यह फैसला सिर्फ नई दिल्ली इलाके के लिए ही ठीक नहीं है। एनडीएमसी की इस पहल को दिल्ली के बाकी नगर निगमों को भी आजमाना चाहिए। यही नहीं राज्य सरकार को भी अब नोटबंदी के विरोध को एक किनारे रखकर जनता के लिए कुछ ऐसे कदम उठाने चाहिए जिससे इस समस्या से निपटा जा सके। राजनीतिक मतभेद अपनी जगह हैं, लेकिन राज्य सरकार भी कैशलेस दिल्ली की तरफ बढ़कर भ्रष्टाचार को खत्म करने की दिशा में आगे बढ़ सकती है। राजधानी की एजेंसियों को बैंक खातों और जिनके पास खाते नहीं हैं उनको आधार कार्ड से डिजिटल लेनदेन की ओर अग्रसर करना चाहिए। दिल्ली में हर राज्य से लोग आते हैं। इसमें चतुर्थ श्रेणी और मजदूरों की भी काफी संख्या है। राज्य सरकार और निगमों को इन लोगों को भी डिजिटल लेनदेन करने के लिए शिक्षित करना चाहिए। आधार के जरिये बिना डेबिट-क्रेडिट कार्ड लेनदेन मुमकिन हो सकता है। सिर्फ आधार नंबर और फिंगर प्रिंट से लेनदेन मुमकिन है। आधार पेमेंट सिस्टम से छोटे लेनदेन मुमकिन है। बड़े लेनदेन के लिए कई स्तर पर सत्यापन की जरूरत होती है। अभी भी आधार के जरिये रोज 6-7 लाख का लेनदेन हो रहा है और यह लेनदेन स्मार्टफोन और बायोमीट्रिक मशीन से किए जा रहे है। बायोमीट्रिक डिवाइस की कीमत सिर्फ 2000 रुपये है। बायोमीट्रिक मशीन भारत में ही बनती है। हर महीने 7-8 लाख मशीन बनाने की क्षमता है और जरूरत पडऩे पर ज्यादा मशीन बन सकती हैं। नोटबंदी का सबसे ज्यादा असर देश की राजधानी में पड़ा है। इसलिए यहां की एजेंसियों को कैशलेस की दिशा में बढऩे की ओर ज्यादा तेजी से कदम उठाने चाहिए। अगर राज्य सरकार और बाकी एजेंसियां इस दिशा में बेहतर व सशक्त तरीके से काम करेंगी तो बैंकों में लाइनें खुद ब खुद खत्म हो जाएंगी। कुल मिलाकर नोटबंदी से निपटने के लिए सभी राज्य सरकारों और निगमों को केंद्र सरकार के साथ मिलकर काम करना चाहिए।

[ स्थानीय संपादकीय : दिल्ली ]